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Wednesday, December 18, 2024

जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा को लेकर शाह की दिल्ली में मीटिंग:विधानसभा चुनाव के बाद पहली बैठक; शाह ने पिछली मीटिंग में कहा था- आतंकवाद को कुचलें

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गुरुवार को जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर दिल्ली में मीटिंग कर सकते हैं। सितंबर-अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनावों के बाद यह पहली बैठक होगी। इसमें उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, सेना, अर्धसैनिक बलों, जम्मू-कश्मीर प्रशासन, खुफिया एजेंसियों और गृह मंत्रालय के सीनियर अफसर शामिल होंगे। न्यूज एजेंसी PTI के सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्री को बैठक में केंद्र शासित प्रदेश की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी दी जाएगी। इससे पहले 16 जून को भी शाह ने हाई लेवल मीटिंग की थी। इसमें उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि आतंकवाद को कुचलें और आतंकियों की मदद करने वालों पर भी सख्ती बरतें। दरअसल, जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाएं अब भी जारी हैं। 20 अक्टूबर को कश्मीर में हुए एक आतंकी हमले में सात लोगों की मौत हुई थी। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में जम्मू-कश्मीर में 142 आतंकवादी मारे गए थे, जबकि इस साल अब तक यह संख्या लगभग 45 है। 2019 में केंद्र शासित प्रदेश में 50 नागरिकों की मौत हुई थी, जबकि इस साल नवंबर के पहले सप्ताह तक यह संख्या घटकर 14 रह गई। चुनाव से पहले जून में 4 मीटिंग हुई थीं... 13 जून, पहली मीटिंग: आतंकी हमलों के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने बुलाई थी पीएम मोदी ने भी जम्मू-कश्मीर में हुई आतंकी घटनाओं को लेकर 13 जून को मीटिंग की थी। इसमें NSA अजीत डोभाल समेत सुरक्षा एजेंसियों के कई अधिकारी भी शामिल हुए। PM ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और सुरक्षाबलों की तैनाती को लेकर गृहमंत्री अमित शाह से भी बातचीत की थी। 14 जून, दूसरी मीटिंग: अमित शाह ने हाईलेवल मीटिंग बुलाने का निर्देश दिया 14 जून को भी शाह ने सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर मीटिंग की थी। दरअसल, 9 जून को मोदी कैबिनेट जब शपथ ले रही थी, तब जम्मू-कश्मीर के रियासी में आतंकियों ने श्रद्धालुओं की बस पर गोलीबारी की थी। ड्राइवर को गोली लगी और बस खाई में गिर गई। इसमें 9 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। 41 लोग घायल हो गए। सभी श्रद्धालु शिव खोड़ी से कटरा (वैष्णो देवी) जा रहे थे। इसके अलावा आतंकियों ने कठुआ और डोडा में 3 जगहों पर लगातार हमले किए थे। इसमें एक SPO और एक CRPF का जवान भी शहीद हो गया था। एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को ढेर कर दिया था। आतंकियों से बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद हुआ था। 15 जून, तीसरी मीटिंग: LG सिन्हा बोले- आतंकवादियों के पनाहगार बख्शे न जाएं जम्मू-कश्मीर के LG मनोज सिन्हा ने भी शनिवार को हाई लेवल रिव्यू मीटिंग की थी। इसमें उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि घाटी में आतंकी ईको सिस्टम को जड़ से खत्म करने के लिए सुरक्षा एजेंसियां एक साथ मिलकर काम करें। जो लोग आतंक और आतंकी इको सिस्टम की मदद कर रहे हैं और उसे पनाह दे रहे हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए। मीटिंग में चीफ सेक्रेटरी अटल डुल्लू, प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम डिपार्टमेंट चंद्रकर भारती, ADGP लॉ एंड ऑर्डर विजय कुमार, ADGP CID नीतीश कुमार और पुलिस और प्रशासन के अन्य सीनियर अधिकारी मौजूद थे। बैठक में अमरनाथ यात्रा, योग दिवस और ईद-अल-अजहा से पहले जिला और पुलिस प्रशासन की तैयारियों को लेकर भी चर्चा हुई। 16 जून, चौथी मीटिंग: आतंकवाद को कुचलें, मददगारों को भी न बख्शें गृहमंत्री अमित शाह ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि आतंकवाद को कुचलें और आतंकियों की मदद करने वालों पर भी सख्ती बरतें। जम्मू-कश्मीर में सभी तीर्थ स्थलों और पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था और बढ़ाई जाए। शाह ने एजेंसियों को निर्देश दिया था कि वे कश्मीर घाटी में एरिया डोमिनेशन प्लान और जीरो टेरर प्लान के जरिए हासिल की गई सफलताओं को जम्मू संभाग में भी दोहराएं। अप्रैल से अब तक चार टारगेट किलिंग हुईं 20 अक्टूबर: जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले के गगनगीर इलाके में 20 अक्टूबर की रात आतंकियों ने गैर-स्थानीय लोगों पर हमला कर दिया। हमले में डॉक्टर समेत 7 लोगों की जान चली गई। हमले को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इस घिनौने हमले में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। 22 अप्रैल: राजौरी में आतंकियों ने एक घर पर फायरिंग की थी। इसमें 40 साल के मोहम्मद रज्जाक की मौत हो गई थी। वे कुंडा टोपे शाहदरा शरीफ के रहने वाले थे। अप्रैल में टारगेट किलिंग की ये तीसरी वारदात थी। रज्जाक के भाई सेना में जवान हैं। 19 साल पहले आतंकियों ने इसी गांव में रज्जाक के पिता मोहम्मद अकबर की हत्या कर दी थी। वे वेलफेयर डिपार्टमेंट में काम करते थे। रज्जाक को पिता की जगह नौकरी मिली थी। 8 अप्रैल: दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के पदपावन में आतंकियों ने गैर कश्मीरी स्थानीय ड्राइवर परमजीत सिंह को गोली मारी थी। वह दिल्ली का रहने वाला था। आतंकियों ने परमजीत पर उस वक्त हमला किया था, जब वह अपनी ड्यूटी पर था। घटना को अंजाम देने के बाद आतंकी मौके से भाग निकले थे। 17 अप्रैल: आतंकियों ने बिहार के एक प्रवासी शंकर शाह की गोली मारकर हत्या कर दी थी। हमलावरों ने उसे पेट और गर्दन में गोलियां मारी थीं। फरवरी में पंजाब के दो लोगों की हत्या हुई थी श्रीनगर में 7 फरवरी 2024 को आतंकियों ने हब्बा कदल इलाके में सिख समुदाय के दो लोगों को AK-47 राइफल से गोली मारी दी थी। मृतकों की पहचान अमृतसर के रहने वाले अमृत पाल (31) और रोहित मसीह (25) के रूप में की गई थी। अमृत पाल की मौके पर ही मौत हो गई थी। रोहित ने इलाज के दौरान दम तोड़ा था। पिछले 2 साल में टारगेट किलिंग की अन्य घटनाएं 26 फरवरी 2023: आतंकियों ने पुलवामा में एक कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की हत्या कर दी थी। वो अपने गांव में गार्ड का काम करते थे। सुबह के वक्त वह ड्यूटी से लौट रहे थे। तभी आतंकियों ने उन पर फायरिंग की थी। 29 मई 2023: अनंतनाग में आतंकियों ने एक नागरिक की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मृतक की पहचान दीपक कुमार के रूप में हुई थी। दीपक जम्मू के उधमपुर का रहने वाला था और अनंतनाग के जंगलात मंडी में सर्कस मेले में काम करता था। 15 अक्टूबर 2022: शोपियां के चौधरीगुंड गांव में आतंकियों ने पूरन कृष्ण भट्ट पर फायरिंग की थी। गंभीर रूप से घायल पूरन को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। अगस्त 2022: शोपियां में आतंकियों ने बिहार के रहने वाले तीन प्रवासी मजदूरों को गोली मारी थी। इसके अलावा सेब के बाग में एक कश्मीरी पंडित की हत्या कर दी गई थी। बांदीपोरा में आतंकियों ने बिहार के एक प्रवासी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। नवंबर 2022: शोपियां में आतंकियों ने उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के रहने वाले दो मजदूरों की हत्या कर दी थी। शोपियां के हरमेन में आतंकियों ने ग्रेनेड फेंका था, जिसमें मोनीश कुमार और राम सागर नाम के दो मजदूर घायल हो गए थे। जम्मू-कश्मीर से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें ... शाह बोले- फारूक ही जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद लाए, 90 के दशक में यहां के आका पाकिस्तान से डरते थे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के दौरे पर ​​​​​​​मेंढर में कहा- 90 के दशक में फारूक की मेहरबानी से आतंकवाद आया। तब यहां बहुत गोलीबारी होती थी, क्योंकि यहां के आका पाकिस्तान से डरते थे। अब पाकिस्तान नरेंद्र मोदी से डरता है। पाकिस्तान की हिम्मत नहीं है कि वह गोलीबारी करे। अगर गोलीबारी की तो मोदी गोली का जवाब गोले से देंगे। पूरी खबर पढ़ें...

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