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Monday, January 13, 2025

इंदौर में भागवत बोले-लोग पूछते थे राम मंदिर क्यों जरूरी:मैं कहता- खुशहाली-रोजगार का रास्ता यहीं से जाता है; चंपत राय का किया सम्मान

इंदौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि लोग पूछते थे कि राम मंदिर क्यों जरूरी? रोजगार, गरीबी, स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधाओं की बात क्यों नहीं करते। मैं कहता था कि रोजगार, खुशहाली का रास्ता भी राम मंदिर से होकर जाता है। उन्होंने कहा कि हमने हमेशा समाजवाद, रोजगार, गरीबी की बात की, लेकिन क्या हुआ। हमारे साथ चले जापान-इजरायल आज कहां से कहां पहुंच गए। संघ प्रमुख भागवत राजेंद्र नगर में लता मंगेशकर ऑडिटोरियम में लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने श्री रामजन्म भूमि तीर्थ ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय को देवी अहिल्या राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। इस बार यह पुरस्कार राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के ज्ञात-अज्ञात कारसेवकों और राम मंदिर निर्माण के सहभागियों को समर्पित किया गया है। ये भी बोले भागवत अहिल्या का राज्य राम राज्य जैसा देश का संविधान स्व से बना है भारत राम को प्रमाण मानता है चंपत राय बोले-यह भारत की मूंछ का मंदिर श्री रामजन्म भूमि तीर्थ ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने कहा कि अयोध्या में श्री राम का मंदिर भारत की मूंछ का भी मंदिर है। मंदिर कार्य पूर्ण होने से पूरी दुनिया में भारत और हिंदू समाज की प्रतिष्ठा को चार चांद लगे हैं। मैं निमित्त मात्र हूं। अयोध्या का श्री राम मंदिर कई ज्ञात-अज्ञात कारसेवकों, प्रशासकों, अधिकारियों, अधिवक्ताओं और अन्य नागरिकों का सहयोग का नतीजा है। हजारों संतों ने राम मंदिर के प्रति जागरण किया। ये किसी एक व्यक्ति से संभव नहीं हुआ। इतने सालों में कितने लोगों का जीवन गया, कितने बलिदान हुए ये कोई नहीं जानता। चंपत राय ने अशोक सिंघल, बूटा सिंह, कोठारी बंधु सहित अन्य कई लोगों का जिक्र करते हुए कहा- अयोध्या, मथुरा, काशी के देव स्थानों को मुक्त करने का समय आ गया है। यह बात कांग्रेस सांसद दाऊ दयाल ने सबसे पहले 1983 में एक आयोजन में उठाई थी। फिर धीरे-धीरे यह आंदोलन के स्वरूप में आ गया। राम जन्मभूमि के लिए 75 लड़ाइयां लड़ी गईं। यह पुरस्कार उन सभी को समर्पित है। अब तक 21 व्यक्तियों को मिल चुका है पुरस्कार देवी अहिल्या पुरस्कार की शुरुआत 1996 में हुई थी। पहला पुरस्कार नानाजी देशमुख को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दिया था। अब तक 21 व्यक्तित्वों को यह पुरस्कार दिया जा चुका है। अब तक राजमाता सिंधिया, पांडुरंग शास्त्री आठवले, पद्मश्री डॉ. रघुनाथ अनंत माशलेकर, सुधा मूर्ति, साध्वी ऋतंभरा और डॉ. प्रणव पंड्या जैसे प्रमुख व्यक्तियों को यह पुरस्कार मिल चुका है। वहीं, इसे देने वालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कल्याण सिंह, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज, सुषमा स्वराज और शिवराज सिंह चौहान जैसे प्रमुख लोगों के नाम शामिल रहे हैं।

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