गुलाबी बाग, प्रताप नगर इलाके में रहने वाले हिमांशु कालिया (41) और उनकी पत्नी ट्विकंल कालिया (37) लॉकडाउन के दौरान अब तक करीब 200 लोगों को निशुल्क एंबुलेंस सुविधाएं मुहैया करवा चुके हैं। इनमें 35 से 40 लोग तो कोराना संदिग्ध थे। इनके परिवार में दो बेटियां और बुजुर्ग पिता अनूप कालिया के साथ रहते हैं। उनका अपना घर है, जिसे वह एंबुलेंस के लिए कंट्रोल रूम के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। यह परिवार खुद किराए के मकान में रहता है। इस दंपती का इंश्योरेंस का काम है, जिससे उनका परिवार चलता है। चूंकि बचपन अस्पताल के चक्कर काटते हुए बीता। बड़े हुए तो जीवन की दिशा बदल गई।
कालिया परिवार 2002 से अब तक 2 लाख लोगों की कर चुका है मदद, सेवा के लिए पत्नी को राष्ट्रपति से भी मिला सम्मान
हिमांशु बताते हैं वर्ष 1992 में वह चौदह साल के थे। पिता का एक शाम एक्सीडेंट गया था, जिन्हें लेकर वह मां के साथ दिल्ली के छोटे बड़े सात अस्पताल लेकर इधर-उधर भटकते रहे। देर रात दो बजे एम्स पहुंचे तो डॉक्टर ने कहा देर हो गई है। तब तक उनके पिताजी कोमा में जा चुके थे। करीब डेढ महीने बाद उन्हें रेलवे के एक अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया। लगभग दो साल वह अस्पताल में ही रहे और फिर बाहर आए।
शादी के तोहफे में कार की जगह मिली एंबुलेंस
हिमांशु की शादी ट्विंकल कालिया से हुई। ससुराल वाले तोहफे में कार दे रहे थे, लेकिन उन्होंने मांगी एंबुलेंस। पत्नी को वह सजी हुई एंबुलेंस में ही लेकर आए। साल 2007 में पत्नी को लिवर कैंसर, हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव और जॉइडिक्स आखिरी स्टेज पर पहुंच गया। गंगा राम अस्पताल के डॉक्टर ने कहा कि वह छह महीने से ज्यादा नहीं जीएंगी। हिमांशु जहां भी एंबुलेंस लेकर जाते तो सिर्फ जरूरतमंद लोगों को अपनी पत्नी के लिए दुआएं मांगने को कहते। दुआओं ने काम कर दिया। हेपेटाइटिस की रिपोर्ट निगेटिव आ गई। वर्ष 2002 से अभी तक दो लाख लोगों की मदद कर चुके हैं। उन्होंने बताया वह, पत्नी और पिताजी इसी काम में लगे हैं। पत्नी को पिछले साल राष्ट्रपति ने सम्मानित भी किया था।
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दैनिक भास्कर,,1733
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