सरकार लाख दावा करें कि लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दिया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ औरहै। दिघलबैंक प्रखंड क्षेत्र में ताे यह सरकारी दावा खाेखला साबित हाे रहा है। यहां बांध की मरम्मत ताे हुई, लेकिन सरकारी मदद से नहीं ग्रामीणाें के श्रमदान औरचंदे से। प्रखंड मुख्यालय से पश्चिमी क्षेत्र के करीब 20 किमी दूर कनकई नदी से घिरा यह इलाका कई वर्षाें से बारिश औरबाढ़ की मार झेल रहा है।
पंचायत के मुखिया राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने बताया कि बांध के निर्माण के लिए मनरेगा योजना में इसकी स्वीकृति ताे हुई है, लेकिन लालफीताशाही के कारण यह अधर में लटक गया। गांव वालाें ने बैठक कर अपने श्रमदान औरचंदे से बांध का मिट्टीकरण का कार्य कर लिया। सिंघीमारी पंचायत के कनकई नदी पार पच्छिमी तट पर बनें बांध की मरम्मती का काम आपस में चंदा एवं श्रमदान कर क्षतिग्रस्त बांध एवं हरिजन टोला में मिट्टीकरण का काम पूरा कर लिया।
ग्रामीण ने बताया कि 2019 में कनकई नदी के सैलाब से आयी बाढ़ से बांध दो जगहों पर पूरी तरह से घ्वस्त हो गया था। बांध टूट जाने और गांव में नदी का पानी घुस जाने से जान-माल का काफी नुकसान हुआ था। बलबाडांगी गांव के मदन मोहन सिंह, भद्र लाल सिंह, डोरा लाल सिंह, श्याम नारायण सिंह, दिगंबर प्रसाद, कृष्ण प्रसाद सिंह, बिधय प्रसाद, राजेश कुमार, दिलीप, पंडब लाल सिंह, सोम, जंगी लाल, शैल प्रसाद ने बताया उन्हें इस बात का डर सता रहा था कि समय रहते बांध की मरम्मत नहीं हुई ताे बारिश में कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। यही साेचकर ग्रामीणों ने आपस में चंदा इकट्ठा कर श्रमदान कर बांध की मरम्मत कर ली।
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दैनिक भास्कर,,1733
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