कोरोना इंफेक्शन से होने वाली मौतों पर उठ रहे सवालों के बीच सरकार की कोरोना डेथ कमेटी ने सख्ती बरत रही है। कमेटी अस्पताल की ओर से डिक्लेयर की गई हर कोरोना मौत मरीज की समरी का अच्छे से अध्ययन कर सिर्फ उन्हीं मौतों को कोरोना मौत डिक्लेयर कर रही है, जिनकी मौत का मुख्य कारण कोरोना है। ऐसी मौतों को कोरोना मौत में नहीं गिना रहा जिन्हें पहले से हार्ट, लंग्स की कोई गंभीर बीमारी या फिर कैंसर था और कोरोना इंफेक्शन की वजह से उनकी मौत हो गई, जबकि गाइडलाइन के मुताबिक, वह सभी मौत कोरोना मौत हैं, जिनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव है।
एक्सपर्ट ने भी इस पर सवाल खड़े किए हैं। अस्पतालों में कोरोना से होने वाली मौतों और सरकारी आंकड़ों पर सवाल खड़े हुए तो सरकार की ओर से 10 मई को सभी अस्पतालों को एक आदेश जारी किया गया, जिसमें शाम 5 बजे तक मौत की जानकारी देने की बात सरकार की ओर से कही गई। आदेश में कहा गया कि समरी नहीं भेजने पर अस्पतालों में कोरोना के इंचार्ज को समरी नहीं भेजने का कारण बताना होगा और उस पर कार्रवाई होगी।
इस आदेश के बाद सरकार की डेथ कमेटी के पास मरीजों की डेथ समरी बड़ी संख्या में इकट्ठी हो गईं। अब कमेटी इन समरी के आधार पर कोरोना से डेथ डिक्लेयर कर रही हैं। कमेटी के पास अस्पतालों की ओर से भेजी गई डेथ समरी का अंबार लगा हुआ है।
बीमारी को मान रहे मुख्य कारण
सूत्रों के मुताबिक, डेथ कमेटी सिर्फ उन्हीं मौतों को कोरोना मौत मान रही है, जिनका प्राथमिक कारण कोरोना है। ऐसी मरीजों की मौतों को कोरोना मौतों में शामिल नहीं किया जा रहा जो पहले से गंभीर बीमारी के शिकार थे और उन्हें कोरोना हो गया। ऐसी मौतों के मामले में कमेटी का मानना है कि व्यक्ति तो पहले से गंभीर बीमार था, उसकी मौत का मुख्य कारण उसकी बीमारी है, कोरोना वायरस ने उसे इंफैक्ट किया। हार्ट, लंग्स, कैंसर जैसी बीमारी मरने वाले की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बावजूद उसे कोरोना पॉजिटिव डेथ में शामिल नहीं किया जा रहा।
एक्सपर्ट ने खड़े किए सवाल
कोरोना डेथ ऑडिट कमेटी की सोच पर एक्सपर्ट सवाल खड़े कर रहे हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि यदि कोई हार्ट की बीमारी से पीड़ित था और उसे कोरोना का इंफेक्शन हो गया। कोरोना इंफेक्शन ने उसकी हालत इतनी ज्यादा खराब कर दी जिसके कारण उसकी मौत हुई। ऐसे में मौत का कारण कोरोना है, न कि उसकी हार्ट की बीमारी क्योंकि दवाई लेकर मरीज का काम चल रहा था। एक्सपर्ट का तो यहां तक कहना है कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन और केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक भी जिस डेडबॉडी में कोरोना का इंफेक्शन है वह कोरोना मौत ही मानी जाएगी।
ईस्ट एमसीडी में टीचर और एक सफाई कर्मचारी की कोरोना से मौत
ईस्ट एमसीडी के 2 और कर्मचारियों की कोरोना से मौत हो गई है। इसमें एक टीचर और एक सफाई कर्मचारी शामिल है। जानकारी के मुताबिक शाहदरा (दक्षिणी) क्षेत्र के वार्ड संख्या 236 में स्थाई सफाई कर्मचारी के पद पर कार्यरत महिला की कोरोना से मौत हो गई। वहीं अजय बिरला जोकि भजनपुरा निगम विद्यालय में राशन वितरण व्यवस्था में ड्यूटी पर तैनात थे, उनकी भी कोरोना से मौत हो गई।
डाटा छिपाने का प्रयास: डॉ. अरविंद
^अस्पतालों में कोरोना से ज्यादातर डेथ आईसीयू में हो रही हैं। वहां अच्छे क्वालिफाइड डॉक्टर डेथ डिक्लेयर करते हैं। अस्पतालों के डॉक्टर्स के डेथ डिक्लेयर करने के बाद उस पर सवाल उठाने का कोई सवाल नहीं होता। यह सीधे तौर पर डाटा छिपाने का प्रयास है। कमेटी बनानी ही है तो अस्पताल के लेवल पर बना सकते हैं।
-डॉ. अरविंद कुमार, चेयरमैन, लंग्स केयर फाउंडेशन और वरिष्ठ चिकित्सक, गंगाराम अस्पताल
ऐसा करना गलत है: डॉ. केके
^कोई पहले से बीमार है और उसकी मौत हो जाती है। टेस्ट में यदि वह कोरोना पॉजिटिव आता है तो वह व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव माना जाएगा। यह कहना गलत है कि पहले से किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति की डेथ होती है और कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो वह मौत कोरोना पॉजिटिव नहीं है।
-डॉ. केके अग्रवाल, अध्यक्ष, हार्ट केयर फाउंडेशन
जब तक काम पूरा नहीं कर लेते मैं कुछ नहीं कह सकता: डॉ. अशोक
इस संबंध में भास्कर ने कोरोना डेथ कमेटी के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार को फोन किया तो उन्होंने नहीं उठाया। एसएमएस किया तो उसके जवाब में उन्होंने कहा कि जब तक हम काम पूरा नहीं कर लेते मैं कुछ नहीं कह सकता। स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन और स्वास्थ्य सचिव पदमिनी सिंगला ने न तो फोन उठाया और न ही एसएमएस और वाट्सएप का जवाब दिया।
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दैनिक भास्कर,,1733
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