कोरोना वैश्विक महामारी फैलने के बाद दूसरे प्रदेशों से अभी तक एक हजार से ज्यादा प्रवासी प्रखंड में लौटे हैं। सभी को चिन्हित सेंटरों पर रखा गया है। आने वाले दिनों में जब ये अपने घर लौटेंगे तो इनके और परिवार के समक्ष रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न होगा। जिससे निबटने के लिये मनरेगा के माध्यम से प्रत्येक पंचायत में 100 से अधिक यानि प्रखंड में कम से कम दो हजार लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। यह जानकारी कार्यक्रम पदाधिकारी शिवनारायण लाल ने दी।
उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में लौटे प्रवासी मजदूरों का जॉब कार्ड बनाने का काम शुरू किया गया है। अभी तक दो दर्जन से अधिक के कार्ड बन चुके हैं। लोहरा में चार, चेरन में तीन पईन की उड़ाही का काम शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा चेरो, डिहरी, नेहुसा, पचौरा, गोनावां में जलस्त्रोत की खुदाई करायी जा रही है। जिसमें तालाब का निर्माण भी शामिल है।
इस कार्य में 70 से 80 मजदूर काम कर रहे हैं। लॉकडाउन के पालन के लिये प्रत्येक 25 मजदूर पर एक जीविका मेट की प्रतिनियुक्ति की गई है। ये काम के दौरान सोशल डिस्टेंस व साफ-सफाई पर ध्यान रखेंगी। कनीय अभियंता लाल बहादुर शास्त्री ने कहा कि वर्तमान में कार्यरत मजदूर में से कुछ का पहले से ही कार्ड बना था। काम के अभाव में वे बाहर चले गये थे। वहां से लौटने के बाद क्वारेंटाइन अवधि के बाद काम पर आये हैं।
वृद्ध, विकलांग व विधवा को प्राथमिकता: कनीय अभियंता ने बताया कि जून माह तक मिट्टी का काम मनरेगा से किया जाता है। इसके बाद जुलाई से अक्टूबर तक बारिश के मौसम को देखते हुये पौधारोपण का गाइडलाइन मिला है। इसमें एक किमी की एरिया में पौधारोपण का काम मनरेगा के जिम्मे होगा। पीओ ने बताया कि पौधारोपण के काम में वृद्ध, विकलांग व विधवा को प्राथमिकता देने का निर्देश जल-जीवन-हरियाली योजना के गाइडलाइन में है।
जांच को भेजे गये 65 सैंपल, 136 प्रवासी भेजे गये घर
प्रखंड में दूसरे प्रदेशों से आने वाले प्रवासियों की संख्या बढ़कर 1 हजार 454 हो गई है। इनमें शामिल दूधमुंहे बच्चों और उनकी माताओं की सुरक्षा को देखते हुए उनकी सैंपल जांच को भेजी गई है। इनकी संख्या 65 है। जबकि पहले के 38 संदिग्ध को मिलाकर कुल 136 लोगों को क्वारेंटाइन सेंटर से डिस्चार्ज कर दिया गया। सोमवार को 98 प्रवासी डिस्चार्ज किये गये। प्रभारी डा. राजीव रंजन सिन्हा ने बताया कि सोमवार को बाहर से लौटे प्रवासियों में काफी संख्या में छोटे बच्चे थे। उनकी माताओं को सेंटर पर भेजने से बच्चों में संक्रमण का खतरा ज्यादा होता। क्योंकि बच्चे बिना मां के नहीं रह पाते। सुरक्षा की दृष्टि से 65 लोगों का सैंपल जांच के लिये बिहारशरीफ भेजा गया है।
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दैनिक भास्कर,,1733
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