बिहार महागठबंधन में इस बार के विधानसभा चुनाव में कितने दल होंगे, यह अभी तय होने की प्रक्रिया में है। महागठबंधन के मुख्य दोनों दल राजद और कांग्रेस के नेताओं की अन्य सहयोगी दलों से वार्ता चल रही है। पिछले विधानसभा चुनाव (2015) में महागठबंधन में राजद, जदयू और कांग्रेस तीन दल थे। पर इस बार के चुनाव में राजद और कांग्रेस साथ खड़े हैं।
इस दोनों दलों का नेतृत्व इस बात पर सहमत है कि राज्य से एनडीए की सरकार हटाने के लिये विपक्षी मतों का बंटवारा रोकना जरूरी है। यही कारण है कि ये दोनों बिहार की राजनीति के हिसाब से अन्य छोटे दलों रासोलपा, वीआईपी, माले, सीपीआई और सीपीएम को साथ लेकर चुनाव लड़ने की कोशिश में जुटे हुए हैं। सैद्धांतिक तौर पर ये छोटे सभी दल एनडीए के विरोध में साथ आने को तैयार भी है।
रालोसपा-माले को 10 से ज्यादा सीट की तैयारी
राजद और कांग्रेस 195 सीटों से कम पर किसी भी हालत में चुनाव नहीं लड़ेंगे। महागठबंधन की ताकत बढ़ाने के लिए राजद 140 से 150 और कांग्रेस 45 से 55 सीटों के बीच अपना उम्मीदवार तय कर सकते हैं। इस तरह सहयोगी दलों के बीच उनकी ताकत और जिताऊ उम्मीदवार के हिसाब से बची 48 सीटों का बंटवारा किया जाएगा।
राजद और कांग्रेस दोनों को भरोसा है कि सांप्रदायिक शक्तियों को राज्य से बाहर करने और सत्ता में आने के लिए सहयोगी दल इन सीटों पर तैयार होंगे। सहयोगी दलों के साथ वार्ता में शामिल राजद के एक महत्वपूर्ण नेता के मुताबिक रालोसपा और माले को दो अंकों (10 से ज्यादा) में सीट देने की रणनीति है। वहीं वीआईपी और सीपीआई को आधी-आधी दर्जन सीटों के आसपास देने की कवायद की जा रही है।
विधायक विजय, डॉ. आलम ने कहा- राजद में ही रहूंगा
मुंगेर के राजद विधायक विजय कुमार विजय और आरा के विधायक डॉ. मो. नवाज आलम ने इस बात को नकारा कि वे राजद को छोड़कर जदयू या किसी और पार्टी में जा रहे हैं। विजय ने कहा- मैं राजद में था, हूं और रहूंगा। मेरी शुरू से आस्था व निष्ठा लालू प्रसाद व इस पार्टी के प्रति रही है, आगे भी रहेगी। डॉ. आलम के मुताबिक मैं 1990 से लालू प्रसाद के साथ हूं। जीवन के अंतिम क्षण तक रहूंगा।
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दैनिक भास्कर,,1733
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