लोजपा-जदयू के बीच तल्ख रिश्तों की कड़वाहट हम के जदयू फोल्ड में शामिल होने से बढ़ी थी कि रविवार को जारी हम के चुनावी पोस्टर ने नया सवाल खड़ा कर दिया। पोस्टर में मांझी की बड़ी तस्वीर है साथ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भी तस्वीर है, लेकिन इसमें केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान नहीं है।
पोस्टर में लिखा गया है फर्स्ट बिहार, नीतीश कुमार। यह लोजपा के नारे ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ से काफी मिलता-जुलता है। हम के पार्टी कार्यालय के सामने लगे पोस्टर पर प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि इसे कार्यकताओं ने लगाया है। चिराग पासवान कई मौकों पर यह कहते रहे हैं कि बिहार सरकार में उनकी पार्टी शामिल नहीं है। इस पोस्टर में उन्हीं नेताओं की तस्वीर लगी है, जो बिहार की सरकार में शामिल हैं। ताजा घटनाक्रम को देखते हुए सोमवार को दिल्ली में होने वाली लोजपा संसदीय बोर्ड की बैठक की अहमियत और बढ़ गई है।
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में पार्टी का मुख्य फोकस बिहार में हाल में तेजी से बदलते राजनीतिक हालात हैं। खास चर्चा जदयू से पर संभावित है। एनडीए में जीतन राम मांझी की अचानक इंट्री के बाद लोजपा के तेवर ज्यादा कड़े हुए हैं। पार्टी ने इसे बगैर एनडीए फोरम पर चर्चा के लिया गया एकतरफा निर्णय भी बताया है। इसी के बाद चिराग ने अचानक संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाने की घोषणा कर दी। चिराग, कई बार पार्टी नेताओं को हर फैसले के लिए तैयार रहने को भी कह चुके है।
आज से बहुत बढ़ जाएगा चुनावी पारा
सोमवार से चुनावी पारा बहुत बढ़ जाएगा। एक दिन में इकट्ठे चार बड़े आयोजन हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वर्चुअल रैली करेंगे। दिल्ली में लोजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में पार्टी की भावी रणनीति तय होगी। इस बैठक में पार्टी अपनी राजनीतिक स्टैंड क्लियर करेगी। महागठबंधन का प्रमुख घटक दल कांग्रेस अपनी चुनावी अभियान का शंखनाद चंपारण से करेगी। भाजपा, विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाने को बैठेगी।
चिराग का सीएम को खत|15 वर्षों में जितने दलितों की हत्या हुई, पहले उनके परिजनों को सरकारी नौकरी दें
लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने सीएम नीतीश कुमार को फिर पत्र लिखा है। इसमें उन्हाेंने कहा है कि दलितों की हत्या पर परिजन को सरकारी नौकरी देने के एलान को चुनावी घोषणा माना जा रहा है। उन्होंने पिछले 15 वर्षों में जितने दलितों की हत्या हुई, सबके परिजनों को एक माह में नौकरी देने की मांग की।
अपने पत्र में चिराग ने कहा कि उन्हें इस वर्ग के कई लोगों ने फोन कर बताया कि इसके पहले भी दलितों के लिए राज्य सरकार ने कई घोषणाएं की थीं, लेकिन उनका अनुपालन नहीं किया गया। ऐसे में इस घोषणा का भी क्या वैसा ही हश्र होगा? दलितों को तीन डिसमिल जमीन देने की घोषणा की गई थी, लेकिन आजतक उसका कार्यान्वयन नहीं हो पाया है।
उन्होंने विभिन्न न्यायालयों में दलितों से जुड़े लंबित मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में देने की भी मांग की। कहा- एससी-एसटी ही नहीं बल्कि, किसी वर्ग के व्यक्ति की हत्या न हो इस दिशा में कठोर कदम उठाने की जरूरत है।
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दैनिक भास्कर,,1733
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