कृषि विभाग के सर्वेक्षण में धान बेचने वाले किसान खोजने पर भी नहीं मिल रहे। दावा यह किया जा रहा है कि अधिकांश किसान पहले ही धान बेच चुके हैं। धान बिकने के बाद अब धान खरीद केंद्र पर धान बेचने के लिए पंजीकरण किया जा रहा है। अब फिर से धान कहां से लाएं। मसलन बात करें आंकड़ों की तो कृषि विभाग में पंजीकृत कुल किसानों की संख्या का महज 2 फीसद किसान ही सरकारी केंद्र पर धान बेंच पाए हैं। कृषि विभाग के आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि विभाग की ओर से कृषिगत योजनाओ से लाभान्वित होने के लिए 2 लाख 45 हज़ार किसानों का पंजीकरण हुआ है। वहीं 120000 के करीब किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का भी लाभ मिल रहा है।
जाहिर है यह वैसे ही किसान हैं, जिनके खुद के नाम से कृषिगत भूमि है या फिर वे कृषिगत भूमि के हिस्सेदार हैं। जाहिर है इतनी बड़ी संख्या में जिले में किसान पंजीकृत हैं। लेकिन धान अधिप्राप्ति के समय यह किसान कहां गायब हो जा रहे हैं। यह बड़ा सवाल है। सवाल यह भी है कि आखिर किस तरह के किसान है जो इन केंद्रों को धान बेंच पाते हैं। जिले के विभिन्न हिस्सों के किसानों का कहना है कि अपने उपज को किसान 13 से 1400 रुपए की दर पर पहले ही बेंच दिए। तब विभाग को धान अधिप्राप्ति की ख्याल आया है जब किसानों के पास धान है ही नही। अब इन्ही बिचौलियों और निजी मिलरों की सांठगांठ से धान की खरीद की जा रही है।
उपज खेत से खलिहान में आने के बाद निजी मिलरों को पहले ही बेंच चुके
कृषि विभाग के दावे की माने तो अधिकांश किसान अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए उपज खेत से खलिहान में आने के बाद निजी मिलरों को पहले ही बेंच चुके हैं। अब सरकार की सक्रियता के बाद कृषि विभाग के कार्मिक धान बेचने वाले इच्छुक किसानों की सूची तैयार कर रहे हैं। ऐसे में उनके सामने यह समस्या सामने आ रही है कि जब उनके पास धान था तो कोई आया ही नहीं। तब कोई खरीदार भी नहीं मिल रहा था। अब जब धान पहले ही बिक चुके हैं तो धान अधिप्राप्ति के लिए सूची तैयार की जा रही है। इस तरह की सूची का कोई औचित्य नहीं।
धान अधिप्राप्ति में तेजी लाई जा रही
इस संदर्भ में जिला सहकारिता पदाधिकारी रामाश्रय राम ने पूछे जाने पर कहा कि जिले में किसानों से धान अधिप्राप्ति में तेजी लाई जा रही है। इसके लिए आवश्यक हर निर्णय लिए जा रहे हैं। किसान सलाहकारों की सूची के अनुरूप ही धान की अधिप्राप्ति की जाएगी।
कृषि विभाग में पंजीकृत किसानों का महज 2% किसान ही अब तक केंद्रों को बेचे
कृषि विभाग व सहकारिता विभाग के आंकड़ों को तुलनात्मक दृष्टि से देखेंगे तो अब तक महज 2% किसान ही सरकारी धान अधिप्राप्ति केंद्र को धान बेंच पाए हैं। इन सरकारी अधिप्राप्ति केंद्रों में भी धान अधिप्राप्ति की रफ्तार सुस्त पड़ गई है। सहकारिता विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो यह स्पष्ट होगा कि जिले में 146 प्राथमिक कृषि साख एवं सहयोग समितियों के अलावा 10 व्यापार मंडलों को भी धान अधिप्राप्ति में लगाया गया है। लेकिन इन समितियों की समेकित तौर पर पिछले कई दिनों से महज 60 से 70 किसानों का एक दिन में धान खरीद हो पा रही है। नए साल के पहले दिन केवल 11 किसानों से ही पूरे जिले भर में धान खरीदी गई। अगले दिन 2 जनवरी यानी शनिवार को जिले के सभी समितियों के द्वारा सिर्फ 54 किसानों से ही धान अधिप्राप्ति हो सके। यह आंकड़े शनिवार के 4:00 बजे तक के हैं।
धान बेचने वाले किसानों की सूची जिला कार्यालय में नहीं आती : इस संदर्भ में पूछे जाने पर जिला कृषि पदाधिकारी ललिता प्रसाद ने कहा कि उच्च अधिकारियों के दिशा निर्देश के अनुकूल धान बेचने वाले इच्छुक किसानों की सूची विभाग को तैयार करना था। लेकिन सहकारिता विभाग की ओर से यह व्यवस्था की गई है कि पंचायत स्तर पर ऐसे सूची सहकारिता विभाग को ही उपलब्ध कराई जाए। जिला कृषि कार्यालय में यह आंकड़े उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।
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दैनिक भास्कर,,1733
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