लखनऊ: उत्तर प्रदेश चुनाव की मतगणना () से कुछ घंटे पहले ही समाजवादी पार्टी (एसपी) और अन्य राजनीतिक दलों ने बीजेपी के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार पर मतगणना में धांधली के आरोप लगाए हैं। एसपी चीफ अखिलेश यादव () ने ट्वीट कर कहा कि वाराणसी में EVM पकड़ी गई () हैं। अखिलेश के आरोपों पर बीजेपी ने भी पलटवार किया है। मगर इस सबके बीच यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि क्या वोटिंग के बाद स्ट्रांग रूम में रखी गई ईवीएम को हैक () किया जा सकता है? क्या वोटिंग में इस्तेमाल हुई ईवीएम और कंट्रोल यूनिट को स्ट्रांग रूम से निकालकर कहीं और ले जाया जा सकता है? इस बारे में चुनाव आयोग के दिशानिर्देश साफ हैं। साथ ही 24 घंटे सीसीटीवी मॉनिटरिंग के इस दौर में कोई भी अफसर इन निर्देशों से हटकर काम भी नहीं कर सकता है। पहले जानें, क्या है पूरा मामला?दरअसल समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि वाराणसी में EVM मशीन पकड़ी गईं। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि क्या वजह है कि बिना सुरक्षा के EVM मशीनों को ले जाया जा रहा है। बिना प्रत्याशी के जानकारी के आप EVM के एक जगह से दूसरी जगह नहीं ले जा सकते हैं। आखिर सुरक्षा बलों के साथ EVM मशीनें क्यों नहीं जा रही थीं? अखिलेश ने EVM में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कार्यकर्ताओं को इसकी निगरानी करने को कहा। अखिलेश ने कहा कि उत्तर प्रदेश का चुनाव (UP Election Result) लोकतंत्र की आखिरी लड़ाई है। इसके बाद लोगों को क्रांति करनी होगी तभी बदलाव आएगा। अखिलेश ने बनारस के डीएम पर लगाया आरोपअखिलेश ने बनारस के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा पर भी बेईमानी के आरोप लगाते हुए कहा, ‘मैं उसे अच्छी तरह जानता हूं।’ मतगणना केंद्रों के बाहर समाजवादी पार्टी ने जैमर लगाए जाने की मांग की है। इसके साथ ही कई अन्य जिलों से EVM और बैलेट पत्र पकड़े जाने की खबरें आईं। बरेली में कचरे के बॉक्स में बैलेट पत्र की खबर के बाद काफी बवाल मचा। एसपी प्रत्याशी अताउर रहमान ने प्रशासन पर धांधली का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बाद में प्रशासन ने हमें बॉक्स खोलकर दिखाया। उसमें बिना यूज किए हुए बैलेट पत्र थे। एसडीएम सदर, बरेली धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि कचरे की गाड़ी में बैलेट पत्र ले जाए जा रहे थे। सभी पार्टी के लोगों को बुलाकर उसे दिखाया गया। सब संतुष्ट होकर गए हैं। अब जान लेते हैं कि ईवीएम की सुरक्षा और देखरेख को लेकर चुनाव आयोग के नियम क्या कहते हैं- 1- दूसरे प्रदेश से आए हुए ऑब्जर्वर 2- प्रदेश पुलिस की जगह पैरामिलिट्री फोर्स के हाथों सुरक्षा की जिम्मेदारी 3- स्ट्रांग रूम पर सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था और उसकी 24 घंटे मॉनिटरिंग 4- स्ट्रांगरूम को सभी पार्टी प्रत्याशियों की उपस्थिति में सील किया जाना 5- रिटर्निंग ऑफिसर (एसडीएम) के भी स्ट्रांग रूम तक जाने पर प्रतिबंध 6- स्ट्रांग रूम की चाबी डबल लॉक (ट्रेजरी) में रखने की व्यवस्था 7- इस ट्रेजरी की चाबी का भी दो राजपत्रित अधिकारियों की कस्टडी में रखा जाना 'जिसे EVM से जुड़ी SOP की जानकारी नहीं, वही निराधार बातें करेगा'इसके अलावा सभी ईवीएम का नंबर ऑनलाइन डिस्प्ले कर दिया जाता है। ईवीएम की बूथवार नंबर के साथ लिस्ट सभी पार्टी प्रत्याशी को पहले ही दे दी जाती है। चुनाव प्रक्रिया से जुड़े एक अधिकारी ने एनबीटी ऑनलाइन से बताया, 'स्ट्रांग रूम से EVM निकालना और उसके स्थान पर दूसरी ईवीएम रखना, ये सब करने के लिए कई दर्जन कर्मचारियों और अधिकारियों की जरूरत पड़ती है। इस पूरे तंत्र और एसओपी की जिसे जानकारी नहीं है, वही आसानी से ईवीएम बदलने की निराधार बातें कर सकता है।'
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