सुप्रीम कोर्ट ने एक क्रिमिनल केस की सुनवाई करते हुए व्यवस्था दी कि नाबालिग को जमानत देने से तब तक इनकार नहीं किया जा सकता, जब तक नाबालिग के किसी बड़े अपराधी के साथ जुड़ने की आशंका न हो। जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने 14 अगस्त को अपने फैसले में राजस्थान हाईकोर्ट और जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) के आदेश को खारिज किया। कोर्ट ने अपने आदेश में 2015 के JJ एक्ट का हवाला दिया है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि नाबालिग को बिना किसी सिक्योरिटी डिपॉजिट के रिहा किया जाए। नाबालिग पिछले एक साल से सेक्शुअल हैरेसमेंट के आरोप में हिरासत में था। कोर्ट ने कहा- JJB को नाबालिगों की निगरानी और उसके आचरण पर रिपोर्ट देने वाले प्रोबेशन ऑफिसर को जरूरी निर्देश देने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि नाबालिग को जमानत मिलनी चाहिए। इसके लिए उसे प्रोबेशन ऑफिसर या किसी योग्य व्यक्ति की देखरेख में रखा जाना चाहिए। कोर्ट ने आदेश दिया कि कि JJB जमानत से इनकार करने के कारणों को भी दर्ज करेगा। अदालत ने JJB, विशेष अदालत और हाईकोर्ट के सभी आदेशों विशेष रूप से JJB के 11 दिसंबर 2023 के आदेश का रिव्यू किया।
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सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट-जुवेनाइल बोर्ड का आदेश बदला:कहा- नाबालिग को जमानत से इनकार नहीं किया जा सकता; सालभर से हिरासत में था
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट-जुवेनाइल बोर्ड का आदेश बदला:कहा- नाबालिग को जमानत से इनकार नहीं किया जा सकता; सालभर से हिरासत में था
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