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Sunday, May 17, 2020

3 साल में देशभर में 62 हजार घटी इंजीनियरिंग छात्रों की संख्या, मेडिकल में 40 हजार बढ़ी, लॉ में भी वृद्धि

(गिरिजेश कुमार) पिछले 3 सालों में देशभर में इंजीनियरिंग से स्नातक करने वाले छात्रों की संख्या घटी है, जबकि मेडिकल और लॉ करनेवाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है। अन्य विषयों से स्नातक करनेवाले छात्रों की संख्या लगभग बराबर है। मानव संसाधन विकास विभाग की ओर से वर्ष 2016-17, 2017-18 तथा 2018-19 में इंजीनियरिंग, मेडिकल, लॉ और अन्य विषयों से स्नातक करनेवाले छात्रों के आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है। आंकड़ों के अनुसार इंजीनियरिंग व टेक्नोलॉजी से स्नातक करने वाले छात्रों की संख्या 62,993 घटी है, वहीं मेडिकल से स्नातक करनेवाले छात्रों की संख्या में 39,402 की वृद्धि हुई है।
देश में उच्चशिक्षा की विभिन्न स्ट्रीमों में छात्रों की संख्या

सत्र इंजीनियरिंग मेडिकल लॉ अन्य
2016 -17 894437 186832 67973 5307144
2017 -18 873406 203814 72486 5269933
2018 -19 831504 226234 81153 5335824

सत्र

नामांकन पास
2015 -16 5184 3070
2016 -17 5537 3551
2017 -18 6014 3974
2018 -19 5885 ------

बिहार में इंजीनियरिंग से स्नातक करने वाले छात्र बढ़े
देश में भले ही इंजीनियरिंग के प्रति छात्रों का रुझान काम हुआ हो लेकिन बिहार में यह संख्या बढ़ी है। राज्य में इंजीनियरिंग की कुल स्वीकृत सीट 10904 है।
छात्रों को रोजगार मिले, इसके लिए शुरू होगा कोर्स
स्नातक छात्रों के रोजगार के लिए एमएचआरडी ने कोर्स शुरू करने की योजना बनाई है। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के तहत ज्ञान, कौशल और सेवाकालीन प्रशिक्षण के विकास पर जोर दिया जाएगा। इसके लिए डिग्री कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। व्यवसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए यूजीसी द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
इंजीनियरिंग के पारंपरिक विषयों में सीटें कम होंगी
इंजीनियरिंग के छात्रों को रोजगार के लायक बनाने के लिए पारंपरिक विषयों में सीटें कम की जाएंगी। डिमांड के कोर्सों जैसे कम्प्यूटर साईंस में सीटें बढ़ेंगी। साथ ही सभी ब्रांचों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सिक्योरिटी, रोबोटिक्स, डिजाइन, क्वांटम कम्प्यूटिंग, ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी, 3 डी प्रिंटिंग जैसी 9 उभरती हुई टेक्नोलॉजी पर पाठ्यक्रम शुरू होंगे।



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इंजीनियरिंग के छात्रों को रोजगार के लायक बनाने के लिए पारंपरिक विषयों में सीटें कम की जाएंगी।

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दैनिक भास्कर,,1733

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