राज्य के बाहर से आने वाले प्रवासियों के लिए जिले में बनाए गए 41 सेंटरों में पंजीकृत 4205 प्रवासी ठहरे हुए हैं। इन क्वारेंटाइन सेंटरों में रहने वाले प्रवासी सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। शनिवार को जिला मुख्यालय स्थित दो क्वारेंटाइन सेंटरों पर ऐसा लग रहा था कि यह सेंटर नहीं बल्कि प्रवासियों का घर है। सुपौल उच्च माध्यमिक विद्यालय के छत पर दर्जनों प्रवासी खड़े होकर अपने परिजनों से न सिर्फ बात कर रहे थे, बल्कि घर से लाए गए सामान भी ले रहे थे। एक प्रवासी से जब उनका नाम पूछा तो उन्होंने बताने से इनकार करते कहा कि महाराष्ट्र से आने में भय ही नहीं हुआ अब जब घर आ गए तो परिवार से मिलने में कैसा डर। अगर इन प्रवासियों पर सख्त निगरानी नहीं रखी गई तो क्वारेंटाइन सेंटर की सीमा लांघ कभी भी भाग सकते हैं।
भाग जा रहे प्रवासी से भी सीख नहीं ले रहे अधिकारी
आए दिन क्वारेंटाइन सेंटर से भाग रहे प्रवासी: क्वारेंटाइन सेंटर की व्यवस्था से परेशान प्रवासी सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए भाग रहे हैं। कई बार इन प्रवासियों को सेंटर से भागने के बाद खोज कर पुनः सेंटर में लाया गया। बावजूद इसके प्रशासन सजग होती नहीं दिख रही है।
सोशल डिस्टेंस बनाकर परिजन से मिल सकते हैं , तैनात पुलिस की रहे नजर
क्वारंटाइन सेंटर में रह रहे प्रवासी सोशल डिस्टेंस बनाकर मुख्य द्वार पर मिल सकते हैं लेकिन न तो कोई सामान ले सकते हैं और न दे सकते हैं। अगर नियम का उल्लंघन किया गया तो कार्रवाई की जाएगी।
- प्रभाष नारायण लाभ, सीओ, सुपौल
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दैनिक भास्कर,,1733
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