विकास की दौड़ में हम जाने अनजाने में वातावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। पर कई ऐसे लोग भी हैं जो इस वसुंधरा को हरा-भरा बनाए रखने की कोशिश में जुटे हैं। कुंदर पंचायत स्थित चुरामनबीघा गांव निवासी 48 वर्षीय राजकुमार मंडल को बेटा नहीं हुआ तो पेड़-पौधों को ही पुत्र मान लिया।
पिछले पांच वर्षों से लगातार पौधरोपण कर उन्हें बचाने की कोशश में लगे हैं। तीन बेटियों के पिता राजकुमार तीनों की शादी कर चुके हैं। उन्हें पुत्र नहीं है लेकिन उनको तनिक भी दुख नहीं है। उनका कहना है कि मेरे लगाए सैकड़ों पेड़ पौधे मेरे पुत्र ही हैं जो मेरे बाद भी सैकड़ों वर्षों तक मेरे नाम से जाने जायेंगे। राजकुमार मंडल बाहर मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते हैं और जब भी घर लौटते हैं तो चौक चौराहों पर छायादार पीपल, बरगद, आम, नीम, गम्हार सहित अन्य फलदायक व छायादार के सैकड़ों पेड़ पौधे लगाकर उसका संरक्षण करते हैं। बताया कि लगातार पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से उनका मन विचलित हो उठा और पेड़ बचाने व लगाने की ठानी। इस कार्य ने उनको ग्रीन मैन बना दिया। उनके इसी कार्य ने लोगों में आंदोलन का रूप बना दिया है। आस पास के कई किसान उनका अनुकरण कर खेतों में कीमती लकड़ी, छायादार व फलदार पौधा लगाकर पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करने लगे हैं।
लोगों में जगा रहे अलख
पिछले 5 साल से गांव-गांव पर्यावरण संरक्षण को लेकर सामुदायिक स्तर पर अलख जगा जा रहे हैं। लोगों को पेड़ पौधे लगाकर पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए जागरूक कर रहे हैं। उनके इस प्रयास से लोग काफी प्रभावित हैं और लोग अनुकरण भी कर रहे हैं। एक मजदूर के ऐसे प्रयास करने को लेकर लोग इन्हें ग्रीन मैन की संज्ञा दी है। राजकुमार ने बताया कि पुत्र नहीं होने का ताना लोगों से सुनते थे। इसको दूर करने के लिए पौधा को ही पुत्र माना। इससे यह अक्षेप मिट गया। अब लोग इसका ताना नहीं देते है। मैं रहूं या नहीं रहूं मेरे बाद पौधे मेरे पुत्र की तरह खेतों में लहलहाते रहेंगे और लोगों को बेहतर वातावरण देंगे। यही सोच कर पौधरोपण अभियान जारी रखे है।
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दैनिक भास्कर,,1733
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