कोरोना वायरस के संकट में कोविड-19 के मरीजों के इलाज के दौरान पहनी जाने वाली पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) किट से डॉक्टरों खुद परेशानी झेल रहे हैं। तेज गर्मी में पीपीई किट पहनने से डॉक्टरों व नर्सिंग स्टॉफ को डिहाइड्रेशन व चक्कर आने तथा हार्ट बीट बढ़ने जैसी शिकायतें आ रही हैं। पीपीई किट पहनने वाले डॉक्टरों व नर्सिंग स्टॉफ का कहना है कि पीपीई किट से ना केवल डिहाइड्रेशन बल्कि इसकी वजह से सिर दर्द, आंखों में जलन व त्वचा रोग जैसे परेशानियां हो रही है।
सफदरजंग की कोविड-19 में काम कर रहे डॉक्टर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पीपीई किट पहनने के बाद शरीर को हवा नहीं मिल पाती। एसी, कूलर चलने के बावजूद पसीना इतना अधिक आता है कि पूरे कपड़े भीग जाते है। पसीना आखों तक आ जाता है, जिससे जलन शुरु हो जाती है। लगातार ग्लब्स पहने से स्किन प्रॉब्लम होना शुरु हो गया है। पीपीई किट पहने से पहले हेड कवर लगाया जाता है, जिससे सिर दर्द होने लगता है।
एक अन्य डॉक्टरों ने बताया कि लगातार मॉक्स लगाने की वजह से सांस लेने में दिक्कत होनी शुरु हाे जाती है। जिससे हार्ट बीट बढ़ जाती है। वहीं एलएनजेपी के नर्सिंग स्टॉफ का कहना है कि कोविड-19 के मरीजों के पास बिना पीपीई किट पहने नहीं जा सकते है। इसलिए खुद को बचाने के लिए यह किट पहनना भी जरुरी है। बता दें कि हाल ही में एम्स एमरजेंसी मेडिसिन की डॉक्टर डयूटी के दौरान बेहोश हो गई थी। उस समय डॉक्टर ने पीपीई किट पहनी हुई थी। डॉक्टर की नाइट डयूटी थी। डॉक्टरों का कहना है कि पीपीई किट के कारण बेहोश हुई थी और उनका डि- हाइड्रेशन का इलाज किया गया था। वहीं एक अन्य सफदरजंग की नर्स भी डयूटी के दौरान बेहोश हो गई थी।
बिना एसी, भीड़ व पीपीई किट सेहो रही है दिक्क्तें
सफदरजंग अस्पताल के आरडीए के प्रेसिडेंट डॉ. मनीष का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण तेजी से फैल रहा है इसलिए डॉक्टरों को गैर कोविड वाले क्षेत्रों में भी पीपीई पहनकर जाना होता है। यह किट सात से आठ घंटों तक पहनना पड़ता है। ठंड में वायरस के ज्यादा फैलने के डर से अस्पताल में एसी भी नहीं चलता और पंखे की हवा का तो इसे पहनने वाले को पता भी नहीं चलता।
ज्यादातर डॉक्टरों को डायपर पहने रखना पड़ता है। एक बार इसे पहनने के बाद आप वॉशरूम भी नहीं जा सकते। डॉ. मनीष का कहना है कि पीपीई में तेज गर्मी लगती है जिसकी वजह से हमारे चेहरे से पसीना टपकता रहता है। चेहरे पर लगने वाले शील्ड की वजह से मुश्किल से ही कुछ दिखाई देता है। ऐसे में भी डॉक्टरों को कोविड के टेस्ट के लिए स्वाब लेना पड़ता है।
क्या है पीपीई किट
पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट एक प्रोटेक्टिव गियर्स हैं, जिन्हें कोरोना वायरस पीड़ितों का इलाज कर रहे डॉक्टरों और नर्स को सुरक्षित रखने के लिए डिजाइन किया गया है। इन गियर्स को पहनने से डॉक्टर्स कीटाणु के संपर्क में आने से खुद को अधिक से अधिक बचा पाते हैं। पीपीई किट में चश्मे, फेस शील्ड, मास्क, ग्लव्स, गाउन, हेड कवर और शू कवर शामिल होते हैं।
कैसे करें पीपीई किट का इस्तेमाल
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के मुताबिक पीपीई किट पहनने में सबसे पहले गाउन, फेस शील्ड, मेडिकल मास्क या प्रोटेक्शन माॅस्क, ग्लव्स फिर शूज पहने जाते है। किट को उतारने के लिए अपने या किसी के भी संपर्क में आने से बचें, पहले सबसे भारी गियर को उतारें फिर गाउन और ग्लव्स कूड़े में फेंक, हाथ धोएं, फिर फेस शील्ड को पीछे से उतारकर कूड़े में फेंकें, चश्में और शूज पर से भी कवर को उतारकर हाथ साफ करें।
635 नए मामले, 14053 पहुंचा आकड़ा
लॉकडाउन 4.0 में ढील के बाद कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले सात दिनों में कोरोना संक्रमित मामले में 24 घंटे में 5 बार 500 से ऊपर और 2 बार 600 से ऊपर कोरोना के नए मामले सामने आ चुके है। सोमवार को जारी दिल्ली सरकार के हेल्थ बुलेटिन की रिपोर्ट के अनुसार 24 घंटे में 635 नए मामले सामने आए है। इसके साथ ही दिल्ली में कोरोना संक्रमितों का आकड़ा बढ़कर 14053 पहुंच गया है।
वहीं, 231 मरीज ठीक/डिस्चार्ज/माइग्रेट हुए है। जिसके साथ अब तक 6771 मरीज ठीक/डिस्चार्ज/माइग्रेट हो चुके है। वहीं, 24 घंटे मे कोई मौत नहीं हुई है, लेकिन दिल्ली सरकार की डेथ कमेटी ने कोरोना संक्रमित मृतकों की कोरोना से मौत होने के 15 मामलो को पुष्टि की है। इसके साथ ही मृतकों का आकड़ा 276 पहुंच गया है। अभी दिल्ली में 7006 सक्रिय कोरोना मरीज है।
पिछले 7 दिनों मे बढ़े 3999 मामले
दिल्ली में कोरोना संक्रमण बढ़ने की रफ्तार तेज होती जा रही है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब तक कुल बढ़े मरीजों में करीब 28 प्रतिशत मरीज यानी 3999 सिर्फ पिछले 7 दिनों में बढ़े है। बता दें 18 मई को लॉकडाउन 4.0 पूरे देश में लागू हुआ है। इसके अगले दिन से दिल्ली में लॉकडाउन में ढील दी गई। जिसके बाद से लगातार 500 के ऊपर ही कोरोना संक्रमितों के नए मामले सामने आ रहे है।
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दैनिक भास्कर,,1733
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