(राजीव कुमार)मस्जिद अर्थात इबादतगाह जहां सज्दा किया जा सके। आरंभिक मस्जिद बहुत ही सामान्य डिजाइन की होती थी। कोई मीनार या गुंबद अनिवार्य नहीं था। इसके लिए केवल जगह या स्थान का महत्व होता था, जहां बैठक कर नमाज अदा की जा सके। गया में मस्जिद निर्माण शैली की आरंभिक अवस्था जहांगीरी मस्जिद, जिसे शाही मस्जिद भी कहते हैं, में दिखती है। इसका निर्माण 1026 हिजरी अर्थात 1617 में हुआ था।
यह नादरागंज में फल्गु नदी के किनारे स्थित है और देखरेख के अभाव में उसकी प्राचीनता खत्म हो रही है। बार-बार जीर्णोद्धार के कारण उसका वर्तमान स्वरूप नया दिखने लगा है। लेकिन कहीं-कहीं पुराना अवशेष दिखता है, जिससे इसकी प्राचीनता स्वयंसिद्ध होती है। जहांगीर को स्थापत्य कला से अधिक शिल्प से लगाव था। यही कारण है कि उसके समय में निर्मित मस्जिद सामान्य है व सौंदर्य बढ़ाने को नक्काशी सहित अन्य काम नहीं करवाए गए हैं।
तहखाने के ऊपर बनी है मस्जिद: कला विशेषज्ञ पर्सी ब्राउन के अनुसार, जहांगीर के समय मस्जिद निर्माण में नए पैटर्न की शुरूआत हुई थी। इसमें तहखाने के साथ बड़ा छत व इसी पर मस्जिद का निर्माण होता था। इस पैवेलियन या छत के ऊपर मध्य भाग तक खुला बरामदा, जहां बैठ कर नमाज पढ़ा जा सके और अंत में गलियारा के साथ मस्जिद का छोटा स्वरूप होता था। इसी पैटर्न पर गया का शाही मस्जिद बना है। इसके चारों कोने पर लगभग 18 फुट उंचा मीनार था, जो समय के साथ बदलते गए। दक्षिण दिवार से सटा एक पुराना मीनार बचा है। मस्जिद का छत बिना गुंबद का है। मस्जिद के पश्चिमी ओर नया निर्माण है। छत पर छोटे-छोटे मीनार दिखते हैं।
1581 के बाद राजकुमार सलीम का हुआ था गया आना
अकबर के शासनकाल में मुगलों का रोहतास से शेरघाटी पर कब्जा हुआ था। उसी समय अकबर ने 1581 में टोडरमल की वापसी पर मानसिंह को गवर्नर बनाया। मानसिंह पहले पटना पहुंचे, वहां से मानपुर आए और शहर निर्माण शुरू किया । उस दौरान अकबर के निर्देश पर राजकुमार दानियल व सलीम का भी आना जाना बना रहा।
1605 में जहांगीर के नाम से बना शासक
राजकुमार सलीम 1605 में अकबर का उत्तराधिकारी बना और जहांगीर नाम रखा। इस दौरान सलीम के रूप में गया सहित बिहार के शासन की देखरेख कर रहा था, उसी दौरान गया में फल्गु नदी के किनारे वर्तमान नादरागंज मुहल्ले में एक मस्जिद का निर्माण हुआ। बाद में यह जहांगीरी मस्जिद और शाही मस्जिद कहलाया।
जमीन से आठ फीट उंचे प्लेटफार्म पर है मस्जिद
मस्जिद आठ फीट उंचे प्लेटफार्म पर बना है। कभी मस्जिद की दिवारों पर कुरान की आयतें नस्क थी। नस्क का अर्थ कॉपी करना है। यह इस्लामी सुलेख की एक छोटी, गोल स्क्रिप्ट है। हालांकि इस मस्जिद के पश्चिम में दो सौ मीटर दूर एक अन्य मस्जिद है, जिसे वहां के लोग वास्तविक शाही मस्जिद बताते हैं। शायर नौशाद कहते हैं हमें भावी पीढ़ी के लिए अपने धरोहर का संरक्षण करना चाहिए।
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दैनिक भास्कर,,1733
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