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Sunday, May 17, 2020

कम लागत में ही सहजन की खेती कर ले सकते हैं अधिक फायदा, दाेमट मिट्टी में अच्छी हाेती है उपज

कृषि विज्ञान केन्द्र, बल्हा के उद्यान वैज्ञानिक मनोहर पंजीकार ने पुपरी में किसानों को जागरूक करते हुए सहजन (मोरिंगा) की खेती कर अधिक लाभ प्राप्त करने की सलाह दी है। उन्हाेंने कहा कि स्वास्थ्य के दृष्टिकाेण से अाैर न्यूनतम लागत के मामले में किसानों के लिए सहजन (मोरिंगा) की खेती बहुत ही लाभप्रद है। खासकर मौसम में लगातार अनियमितता को देखते हुए इसकी खेती लाभप्रद हो सकती है। इसकी खेती में कोई बड़ी पूंजी भी नहीं लगती है। उन्होंने कहा कि इसकी खेती में न्यूनतम लागत लगता है अाैर स्वास्थ्य के लिए सबसे बेहतर सब्जी है। सहजन के नियमित प्रयोग से ब्लड सुगर नियंत्रित होता है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है। इसके सेवन से हड्डी मजबूत होती है। इसके सेवन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे मनुष्य में रोगों से लड़ने की क्षमता में काफी वृद्धि होती है। उद्यान वैज्ञानिक श्री पंजीकार ने किसानों को बताया कि इसकी खेती घर के आसपास, खेतों के किनारे या खेतों में कर सकते हैं। इसकी खेती के लिए बीज से पौध तैयार कर या पेड़ की टहनियों को काट कर खेतों में लगा सकते हैं। इसे लगाने के लिए पहले गड्ढे की खुदाई करनी पड़ती है। फिर उसमें खाद डालकर रोपाई करना चाहिए। उन्होंने कहा मई के महीने में तीन मीटर की दूरी पर आधा मीटर लंबा, आधा मीटर चौड़ा अाैर आधा मीटर गहरा गड्ढे की खुदाई कर लेते हैं। 10 दिन धूप लगने के बाद निकाली गई मिट्टी में प्रति गड्डा 5 किलोग्राम सड़ा गोबर मिलाकर गड्ढे को भर देते है। इसकी सिंचाई कर दी जाती है। आवश्यक नमी रहने पर 2 मीटर लंबा अाैर 10 सेंटीमीटर मोटाई की शाखा को 15 से 20 सेंटीमीटर की गहराई में लगा दें। शाखा के ऊपरी भाग को गीली मिट्टी अथवा गोबर से ढंक दिया जाना चाहिए।



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पुपरी में सहजन की खेती का तकनीक बताते कृषि वैज्ञानिक।

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दैनिक भास्कर,,1733

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