सरकारी दावों और आंकड़ों को छोड़कर जमीनी हकीकत की तरफ देखा जाए तो सरकारी स्कूलाें के विद्यार्थियाें की पढ़ाई ठप के कगार पर है। काेराेना संकट में स्कूल पहले से ही बंद हैं, वहीं संसाधनाें के अभाव में अाॅनलाइन पढ़ाई भी बच्चे नहीं कर पा रहे हैं। छात्राें के पास न तो स्मार्टफोन है और न ही लैपटॉप। दूरदर्शन के जरिए कुछ अपनी पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन आर्थिक तंगी में वे टीवी का रिचार्ज भी नहीं करा पा रहे हैं तो पढ़ाई कैसे करेंगे। शिक्षकों के अनुसार उनकी कक्षाओं में 10 से 20% बच्चे ही जुड़ पाते हैं। वो भी नियमित नहीं होते। प्राइमरी सेक्शन में उपस्थिति 5 से 10% ही हो पाती है। जो जुड़ पाते हैं उनमें से आधे बच्चे ही पढ़ाई समझ पाते हैं।
ऑनलाइन पढ़ाई से क्यों नहीं जुड़ रहे बच्चे
- कई के पास न तो स्मार्टफोन है और न ही लैपटाॅप।
- जिनके पास है वो नियमित इंटरनेट पैक रिचार्ज नहीं करा पाते क्योंकि ज्यादातर अभिभावकों का काम लॉकडाउन में बंद हो गया।
- स्मार्टफोन है भी तो एक है और अधिकतर वह पिता के पास रहता है। बच्चों का कहना है पिता बाहर रहते हैं तो पढ़ाई कैसे करें।
- कुछ की पढ़ाई दूरदर्शन से हो रही थी लेकिन आर्थिक मंदी के कारण टीवी का रिचार्ज नहीं हो पा रहा है।
- कई बच्चे माइग्रेट होकर अपने गांव लौट गए, जहां उन्हें और भी समस्याएं आ रही हैं।
- कई बच्चे बाढ़ प्रभावित जिलों में फंसे हैं, जिसके कारण वे क्लास से जुड़ नहीं पाते।
समझेंगे नहीं तो लिखेंगे क्या
बापू स्मारक कन्या विद्यालय के शिक्षक अभिषेक कुमार ने कहा कि लगभग 6 महीने बीत गए। पढ़ाई करने वाले बच्चों की संख्या बहुत कम है। वीडियो के जरिए हम सिलेबस को पूरा कर भी दें, लेकिन बच्चे अगर समझेंगे नहीं तो 10वीं और 12वीं की परीक्षा में लिखेंगे क्या और जिन तक वीडियो पहुंच नहीं रहा वो कैसे पढ़ेंगे।
5% बच्चे ही समझ पाते हैं
महंत हनुमान शरण विद्यालय के शिक्षक गौरी बताते हैं कि बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं में इंट्रेस्ट नहीं ले रहे हैं। कुछ ही बच्चे क्लासेज में पढ़ाए जा रहे विषय को समझ रहे हैं। इनकी संख्या 5% से भी कम है। बच्चों को एक दिन भी स्कूल बुलाने की जरूरत है। क्लासरूम पढ़ाई की तुलना ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर सकती।
सरकारी स्कूलों के बच्चों के पास संसाधनों की कमी है। जिनके घर में स्मार्टफोन की कमी है वो तभी इस्तेमाल कर पाते हैं जब अभिभावक घर पर हो। ऐसे में उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। लेकिन बच्चों और अभिभावकों को जागरूक किया जा रहा है कि वो ऑनलाइन पढ़ाई में इंट्रेस्ट लें और कक्षा में नियमित हाें।
- ज्योति कुमार, डीईओ पटना
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दैनिक भास्कर,,1733
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