सासाराम में चल रहे शहरी स्वास्थ्य केंद्रों की सेहत खराब हो गई है। इन केंद्रों पर न तो डॉक्टर दिखते हैं, न ही नर्स आती हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार की ओर से इन स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों की तैनाती नहीं है। सभी केंद्रों पर एक या दो डॉक्टर तैनात हैं। नर्स एवं फार्मासिस्ट भी यहां पदस्थापित हैं, लेकिन वे कब आते हैं और कब जाते हैं, यह देखने वाला कोई नहीं है। स्थानीय मरीज आते हैं और लौटकर चले जाते हैं। शहर के तकिया, बौलिया तथा सागर मुहल्ला में तीन शहरी स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए है। जहां मरीजों को जरूरी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करने की व्यवस्था है। लेकिन पिछले एक महीने से इन स्वास्थ्य केंद्रों पर न जीएनएम जाती है न ही चिकित्सक ही।
स्थानीय मरीज अस्पताल में पहुंचने के बाद बिना इलाज कराए ही लौटने को मजबूर है। इन शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर इन दिनों डॉटा ऑपरेटर और फार्मासिस्ट ही ड्यूटी में नजर आते है। जो मरीजों को चिकित्सक और जीएनएम के नहीं होने की बात बता वापस लौटाने का काम कर रहे है। मामले को ले शहरी स्वास्थ्य केंद्र के नोडल प्रभारी सह सदर पीएचसी प्रभारी डॉ.केपी विद्यार्थी ने भी माना की यू पीएचसी में स्वास्थ्य सेवा बदहाल है। वे कहते है कि चिकित्सक और जीएनएम की प्रतिनियुक्ति मेरे बस की बात नहीं है।
सीएस के आदेश के बाद भी नर्सों ने नहीं किया योगदान
सिविल सर्जन डॉ सुधीर कुमार ने बताया कि एक माह पूर्व तीनों यू पीएचसी की जीएनएम स्थाई नौकरी हाेने के बाद त्यागपत्र देकर चली गई है। तब से शहरी स्वास्थ्य केंद्र में नर्स का पद खाली था। मामला संज्ञान में आने के बाद तीनों स्वास्थ्य केंद्रों में जीएनएम भेजने के लिए कुछ दिन पूर्व आदेश जारी कर दिया गया है। इधर स्थिति यह है कि सीएस के आदेश के बाद भी शनिवार तक किसी भी नर्स ने योगदान नहीं किया था। जिसपर सीएस बोले की संबंधित अधिकारी से पूछता हूं। उन्हाेंने बताया की यू पीएचसी की व्यवस्था जल्द हीं दुरूस्त कर लिया जाएगा।
बड़ी परेशानी: तकिया यूपीएचसी में एक साल से नहीं हैं चिकित्सक
शहर के तकिया स्थित यू पीएचसी में पिछले एक साल से चिकित्सक लापता है। जिससे एक माह पूर्व तक जीएनएम के भरोसे केंद्र का संचालन हो रहा था। हालांकि लम्बे समय तक चिकित्सक के नहीं रहने के स्थिति में सिविल सर्जन ने बौलिया यू पीएचसी के चिकित्सक डॉ संतोष कुमार को सप्ताह में एक दिन के लिए प्रतिनियुक्त कर दिया। जिन्होंने महीने में एक-दो बार उक्त केंद्र में पहुंचकर मरीजों का इलाज भी किया।
बाकी दिन वहां तैनात जीएनएम व अन्य स्वास्थ्य कर्मी ने साधारण रोगों के लिए मरीजों को कुछ दवा देने का काम किया। जिससे नीम हकीम खतरे जान की स्थिति में यू पीएचसी का संचालन होता रहा। इधर प्रतिनियुक्त चिकित्सक को कोरोना ड्यूटी में लगा दिया गया। जिससे मार्च महीने के बाद से हीं यहां की स्वास्थ सेवा ठप है। तमाम संसाधनों के बाद भी मेडिकल सेवा नहीं मिलने से स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश व्याप्त है। स्वास्थ सेवा को ले लोग सड़क पर उतरने की बात कर रहे है।
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दैनिक भास्कर,,1733
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