बिहार की राजनीति नई करवट ले रही है। राज्य की पंचायत सरकार में पचास फीसदी से अधिक पदों पर महिलाओं का कब्जा है। दूसरे शब्दों में पंचायत सरकार के अधिकतर पदों को महिलाएं चला रही हैं। राज्य सरकार ने बिहार की पंचायतों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया था, लेकिन महिला जनप्रतिनिधियों ने इस सीमा की दहलीज को लांघ कर राजनीति की नई कहानी लिख डाली है।
वर्ष 2016 के पंचायत चुनाव के बाद बिहार में पंचायतों की तस्वीर ऐसी बनी की महिलाएं आरक्षण की सीमा से अधिक पदों पर जीत कर आएं। मुखिया, जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद अध्यक्ष और प्रखंड प्रमुख के पदों पर महिलाओं का प्रतिशत 50 फीसदी से अधिक रहा।
खासबात यह रही कि मुखिया, जिला परिषद सदस्य प्रमुख आदि के पदों को लेकर महिलाओं में खूब क्रेज है। बिहार में एक बार पंचायत चुनाव ने दस्तक दे दी है। अगले साल मार्च से मई के बीच 2 लाख 58 हजार 760 पदों पर पंचायत चुनाव होगा। राज्य निर्वाचन आयोग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है।
वोटर लिस्ट बनाने के लिए ट्रेनिंग शुरू
पंचायत चुनाव की मतदाता सूची तैयार करने के लिए जिलों के अफसरों की ट्रेनिंग शुरू हो गई है। शनिवार को 19 जिलों से आए अफसरों को प्रशिक्षित किया गया। इसमें बक्सर, भोजपुर, नालंदा और पटना के अफसरों के अलावा गया, नवादा, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, सारण, सीवान, मुजफ्फरपुर, वैशाली, मुंगेर, शिवहर, मधुबनी, समस्तीपुर, दरभंगा और लखीसराय के अफसर शामिल हुए। राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से दूसरे चरण में रविवार को अन्य जिलों के अफसरों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
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दैनिक भास्कर,,1733
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