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Friday, July 19, 2024

सेना ने जम्मू में 500 स्पेशल पैरा कमांडो तैनात किए:यहां 50-55 पाकिस्तानी आतंकियों के होने की आशंका; भारत में टेरर नेटवर्क एक्टिव करना इनका मकसद

जम्मू में बढ़ते आतंकी हमलों के बीच भारतीय सेना ने लगभग 500 पैरा स्पेशल फोर्स कमांडो को तैनात किया है। रक्षा सूत्रों ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि जम्मू रीजन में पाकिस्तान के 50-55 आतंकियों के छिपे होने की आशंका है। ये भारत में फिर से टेरर नेटवर्क एक्टिव करने के लिए घुसे हैं। सेना को इससे जुड़े इंटेलिजेंस इनपुट मिले हैं, जिसके बाद उन्होंने मोर्चा संभाल लिया है। इंटेलिजेंस एजेंसियां भी आतंकियों का समर्थन करने वाले ओवरग्राउंड वर्कर्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर को खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, जम्मू में घुसपैठ कर रहे आतंकी हाई लेवल ट्रेनिंग लेकर आए हैं। उनके पास आधुनिक हथियार और उपकरण हैं। सेना इन आतंकियों की तलाश और उन्हें खत्म करने की रणनीति पर काम कर रही है। आतंकियों से मुकाबला करने के लिए सेना पहले ही 3,500 से 4000 सैनिकों की अपनी ब्रिगेड उतार चुकी है। इसके अलावा जम्मू में सेना के पास पहले से ही एक काउंटर-टेररिस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर है, जिसमें रोमियो और डेल्टा फोर्सेज के साथ-साथ राष्ट्रीय राइफल्स की दो फोर्सेज शामिल हैं। जम्मू में जैश और लश्कर का 20 साल पुराना नेटवर्क एक्टिव जम्मू रीजन में सेना ने 20 साल पहले पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के जिस लोकल नेटवर्क को सख्ती से निष्क्रिय कर दिया था, वो पूरी ताकत से फिर एक्टिव हो गया है। पहले ये लोग आतंकियों का सामान ढोने का काम करते थे, अब उन्हें गांवों में ही हथियार, गोला बारूद और खाना-पीना दे रहे हैं। बीते दिनों जिन 25 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया था, उन्होंने पूछताछ में इसके सुराग दिए हैं। यह नेटवर्क जम्मू के 10 में से नौ जिलों राजौरी, पुंछ, रियासी, ऊधमपुर, कठुआ, डोडा, किश्तवाड़, जम्मू और रामबन में जम चुका है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद्य के मुताबिक, आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही पाकिस्तान आर्मी और ISI ने जम्मू को टारगेट करना शुरू कर दिया था। उसने दो साल में इस नेटवर्क को सक्रिय किया। इन्हीं की मदद से आतंकियों ने 2020 में पुंछ और राजौरी में सेना पर बड़े हमले किए। फिर ऊधमपुर, रियासी, डोडा और कठुआ को निशाने पर लिया। 2020 में जम्मू से सेना हटाकर लद्दाख भेजी गई, यही आतंकियों के लिए मौका बना 2020 तक जम्मू रीजन में काफी सुरक्षा बल तैनात था। हालांकि, गलवान एपिसोड के बाद चीनी आक्रामकता का जवाब देने के लिए यहां की सेना को हटाकर लद्दाख भेज दिया गया। आतंकियों ने भारत के इस कदम को मौके के रूप में भुनाया और अपना आधार कश्मीर से जम्मू में शिफ्ट किया। यहां इनका पुराना लोकल नेटवर्क पहले से ही था, जिसे एक्टिव करना था। वही हुआ है। जम्मू में आतंकी घटनाएं सांप्रदायिक रंग भी ले सकती हैं, क्योंकि यहां विशिष्ट जनसांख्यिकी वाले नागरिक ज्यादा हैं। यहां कश्मीर के मुकाबले जनसंख्या घनत्व कम है और सड़क संपर्क सीमित है। बड़ा इलाका पहाड़ी है, इसलिए आतंकियों को यहां मार गिराने में समय लग रहा है। जम्मू में घुसे आतंकियों में पाकिस्तान के पूर्व और वर्तमान सैनिक भी सैन्य सूत्रों ने बताया कि रियासी हमले के बाद मारे गए आतंकियों से जो हथियार और सैटेलाइट फोन मिले थे, वो इस बात के सबूत हैं कि नए आतंकियों में पाकिस्तान सेना के पूर्व या वर्तमान सैनिक भी शामिल हैं। इनके हमलों का तरीका पाक सेना के पैरा ट्रूपर डिवीजन जैसा है। सैटेलाइट फोन भी पूरी तरह एंड टू एंड एनक्रेप्टेड हैं। स्थानीय लोगों से इंटेलिजेंस को नहीं मिल रही मदद रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाक से आए आतंकी जम्मू-कश्मीर के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में छोटे-छोटे कैंप में ट्रेनिंग ले रहे हैं। इनके पास आधुनिक हथियारों के साथ मॉर्डन कम्युनिकेशन डिवाइसेस भी हैं। इनके सैटेलाइट फोन भी पूरी तरह एंड टू एंड इनक्रिप्टेड है। इससे इनपुट लीक होने का खतरा कम होता है। वहीं इंटेलिजेंस को स्थानीय लोगों और अन्य लोगों से आतंकियों के बारे में मिलने वाली खुफिया जानकारी लगभग समाप्त हो गई है। इससे सेना को आतंकियों तक पहुंचने में सफलता नहीं मिल रही है। डोडा में 15 जुलाई को मुठभेड़ में 5 जवान शहीद हुए थे डोडा में ही 15 जुलाई को आतंकियों से मुठभेड़ में सेना के एक कैप्टन और पुलिसकर्मी समेत 5 जवान शहीद हो गए थे। 16 जुलाई को डोडा के डेसा फोरेस्ट बेल्ट के कलां भाटा में रात 10:45 बजे और पंचान भाटा इलाके में रात 2 बजे फिर फायरिंग हुई थी। इन्हीं घटनाओं के बाद सर्च ऑपरेशन चलाने के लिए सेना ने जद्दन बाटा गांव के सरकारी स्कूल में अस्थायी सुरक्षा शिविर बनाया था। डोडा जिले को 2005 में आतंकवाद मुक्त घोषित कर दिया गया था। 12 जून के बाद से लगातार हो रहे हमलों में 5 जवान शहीद हुए, 9 सुरक्षाकर्मी घायल हुए। जबकि तीन आतंकवादी मारे गए। ये खबर भी पढ़ें... आतंकियों ने रियासी हमले की थ्योरी कठुआ में दोहराई, तब ड्राइवर को टारगेट किया, सेना का ट्रक गिराने का प्लान था जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में 8 जुलाई को आतंकियों के हमले में जूनियर कमीशंड ऑफिसर (JCO) समेत 5 जवान शहीद हो गए। आतंकियों ने पहाड़ी से घात लगाकर सेना के ट्रक पर पहले ग्रेनेड फेंका, फिर स्नाइपर गन से फायरिंग की। सेना ने भी काउंटर फायरिंग की, लेकिन आतंकी जंगल में भाग गए। पूरी खबर पढ़ें... कश्मीर में वैष्णोदेवी जा रही बस पर आतंकी हमला:2 हमलावर सेना जैसी वर्दी में थे, 25-30 गोलियां चलाईं, बस खाई में गिरी, 10 मौतें जम्मू-कश्मीर के रियासी में आतंकियों ने श्रद्धालुओं को ले जा रही बस पर रविवार शाम सवा 6 बजे हमला किया। इसमें ड्राइवर और कंडक्टर समेत 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि 41 लोग घायल हो गए। दिल्ली में पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह से एक घंटे पहले यह हमला हुआ। पूरी खबर पढ़ें...

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