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Saturday, August 3, 2024

दिल्ली हाईकोर्ट बोला- मालीवाल केस में बिभव की गिरफ्तारी जरूरी:अरेस्ट के लिए पर्याप्त सबूत थे, पुलिस ने कानून के तहत कार्रवाई की

स्वाति मालीवाल से मारपीट के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार (2 जुलाई) को दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल के पीए बिभव कुमार की गिरफ्तारी को जरूरी बताया। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि पुलिस ने कानून के दायरे में रहकर काम किया। बिभव को गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त सबूत थे, जिनके आधार पर बिना नोटिस के उन्हें गिरफ्तार किया गया। इस आदेश के साथ हाईकोर्ट ने बिभव की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को अवैध घोषित करने की मांग की थी। शुक्रवार को हुई इस सुनवाई की ऑर्डर कॉपी शनिवार को जारी की गई। बिभव के खिलाफ 16 मई को FIR दर्ज की गई थी और उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया गया था। तब से वे जेल में हैं। हाई कोर्ट का पूरा आदेश पढ़ें... अपने आदेश में हाई कोर्ट ने कहा कि बिभव की गिरफ्तारी के बाद ट्रायल कोर्ट ने बिभव और राज्य दोनों का पक्ष सुना था और इसके बाद पुलिस को पांच दिनों की कस्टडी दी थी। इस दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून इन्वेस्टिगेटिव अफसर को इन्वेस्टिगेशन के दौरान किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकता है, लेकिन मौजूदा स्थिति में बिभव को गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त सबूत थे, जिनके आधार पर बिना नोटिस के उन्हें गिरफ्तार किया गया। कोर्ट ने कहा कि संविधान के आर्टिकल 21 में के तहत हर व्यक्ति को स्वतंत्रता का अधिकार है। कानून भी इसी तरह से डिजाइन किया गया है कि इस अधिकार का उल्लंघन न हो। इस केस से जुड़े जो तथ्य सामने आए हैं, उनसे साफ होता है कि मौजूदा स्थिति में गिरफ्तारी जरूरी थी और यह गिरफ्तारी CrPC के सेक्शन 41 के तहत की गई है। इस आधार पर बिभव की याचिका का कोई मेरिट नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट में हुई थी जमानत पर सुनवाई इससे पहले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्वाति मालीवाल से मारपीट के मामले में CM केजरीवाल के PA बिभव कुमार की जमानत पर सुनवाई की। इस दौरान जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री का आवास निजी बंगला है। हमें इस बात की हैरानी है कि क्या इस तरह के गुंडे को सीएम आवास में काम करना चाहिए। कोर्ट ने बिभव के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से तीखे सवाल किए। बेंच ने पूछा- बिभव को पीड़ित की फिजिकल कंडीशन पता थी, लेकिन यह आदमी उसे पीटता रहता है। उसे क्या लगता है, सत्ता उसके सिर पर चढ़ गई है। इसके बावजूद भी आप उसकी पैरवी कर रहे हैं। बेंच ने बिभव की जमानत के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली पुलिस को भी नोटिस जारी किया है। साथ ही मामले की चार्जशीट पढ़ने के लिए समय लेते हुए सुनवाई 7 अगस्त तक के लिए टाल दी है। बिभव के खिलाफ 50 गवाहों वाली चार्जशीट दायर इससे पहले 30 जुलाई को दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में स्वाति मालीवाल केस पर सुनवाई हुई। जिस पर मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गौरव गोयल ने 16 जुलाई को दायर की गई चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए डॉक्यूमेंट्स की जांच के लिए मामले को 24 अगस्त तक के लिए लिस्ट कर दिया। 500 पन्नों की इस चार्जशीट में करीब 50 गवाहों के बयान हैं। विभव के खिलाफ 16 मई को FIR दर्ज की गई थी और उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया गया था। तब से वे जेल में हैं। सुप्रीम कोर्ट से पहले बिभव ने दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए 12 जुलाई को हाईकोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया था। क्या है स्वाति मालीवाल मारपीट केस, 3 पाइंट में समझिए... ट्रायल कोर्ट में सुनवाई के दौरान रो पड़ी थीं स्वाति बिभव कुमार ने 25 मई को ट्रायल कोर्ट में जमानत के लिए याचिका लगाई थी, जिस पर 27 मई को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान स्वाति भी कोर्ट में मौजूद थीं। बिभव के वकील हरिहरन ने सुनवाई के दौरान आरोप लगाया कि जब सेंसिटिव बॉडी पार्ट्स पर चोट के निशान नहीं मिले तो गैर इरादतन हत्या की कोशिश का सवाल ही नहीं है। न ही बिभव का स्वाति को निर्वस्त्र करने का कोई इरादा था। ये चोटें खुद को पहुंचाई जा सकती हैं। बिभव के वकील ने यह भी कहा कि पुराने जमाने में ऐसे आरोप कौरवों पर लगे थे, जिन्होंने द्रौपदी का चीरहरण किया था। स्वाति ने यह FIR पूरी प्लानिंग करके 3 दिन बाद दर्ज कराई है। ये दलीलें सुनकर स्वाति कोर्ट रूम में ही रो पड़ीं। पूरी खबर पढ़ें... मामले में कब क्या-क्या हुआ...

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