देशभर में लागू देशव्यापी लॉक डाउन में अन्य प्रदेशों में फंसे कामगारों का आना लगातार जारी है। रोज इसकी संख्या बढ़ती जा रही है। ज्यादा प्रभावित इलाके सूरत, अहमदाबाद, मुंबई, पुणे, दिल्ली, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम, नोएडा, कोलकाता एवं बंगलुरू से आने वाले कामगार ए श्रेणी के माने जाएंगे। इन्हें प्रखंडस्तरीय क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जाएगा। बाकी लोगों को होम क्वारेंटाइन में भेजा जाएगा।
जिले में अब तक 25 हजार से अधिक कामगार अन्य प्रदेशों से आए हैं, जिन्हें स्क्रीनिंग के बाद प्रखण्ड, पंचायत एवं ग्रामीण स्तरों पर बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटरों पर रखा जा रहा है। जिला प्रशासन के अनुसार इन केन्द्रों पर कामगारों को आपदा विभाग द्वारा जारी सभी प्रकार की आवश्यक सुविधाएं दी जा रही हैं। साथ ही क्वारेंटाइन की अवधि 14 दिन पूरी करने के बाद पुनः स्वास्थ्य परीक्षण के बाद इन्हें होम क्वारेंटाइन में रहने की शर्त पर छोड़ा जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग क्वारेंटाइन सेंटर में रहने वाले प्रवासी कामगारों के रेंडमली सैंपल भी लेकर टेस्ट के लिए भेजते हैं। लेकिन अब इसमें बदलाव किया जाएगा। राज्य सरकार ने अन्य प्रदेशों से बड़ी संख्या में आ रहे कामगारों की श्रेणी बनाने का निर्देश डीएम को दिया है। कोरोना हॉटस्पॉट या कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित जगहों से आने वालों को ए श्रेणी में रखा जाएगा। जबकि अन्य स्थलों से आनेवाले कामगारों को बी श्रेणी में रखा जाएगा। प्रभावित इलाके सूरत, अहमदाबाद, मुंबई, पुणे, दिल्ली, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम, नोएडा, कोलकाता एवं बंगुलुरू से आने वाले कामगार ए श्रेणी के माने जाएंगे। इसके अलावे जिला पदाधिकारी भी प्रभावित इलाके की समीक्षा करेंगे। ए श्रेणी वाले कामगारों को प्रखण्डस्तरीय क्वारेंटाइन सेंटर में एवं बी श्रेणी को होम क्वारेंटाइन में रखा जाएगा। बशर्ते कि इनमें कोरोना का कोई लक्षण न हो।
अलग-अलग होंगे नियम
सर्वाधिक कोरोना प्रभावित इलाके से आने वाले प्रवासी कामगारों को प्रखण्डस्तरीय क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जाएगा। प्रखण्ड स्तर पर सेंटर की कमी रहने की स्थिति में उन्हें प्रखण्ड मुख्यालय से सटे पंचायत में बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जाएगा। 14 दिन की अवधि पूरा करने के बाद सात दिनों तक सशर्त होम क्वारेंटाइन में रहना अनिवार्य किया जाएगा। श्रेणी बी में आने वाले कामगारों को स्क्रीनिंग के बाद किसी प्रकार का लक्षण नहीं पाए जाने पर उन्हें होम क्वारेंटाइन किया जाएगा। इसके लिए उन्हें स्व- अभिप्रमाणित शपथ पत्र देना होगा। इनका प्रखण्ड स्तर पर ही पंजीकरण किया जाएगा।
प्रवासी मजदूरों की हो रही उपेक्षा
माकपा नेता सह पूर्व विधान सभा प्रत्याशी फिरोज आलम ने जिले में संचालित क्वारेंटाइन सेंटर में मानक सुविधा नहीं देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा जो दिखाया जा रहा है, सच्चाई उससे कोसों दूर है। पोठिया प्रखण्ड के चनामना में बनाए गए सेंटर पर बरसात में भींग कर समय काटने वाले प्रवासी मजदूरों की किसी ने सुधि नहीं लिया। स्वयं प्रवासी मजदूर एवं मेरे द्वारा भी रात में बीडीओ सीओ पोठिया को फोन कर समस्याओं से अवगत कराया गया। लेकिन समाधान के लिए कोई नहीं पहुंचे। प्रशासन प्रवासी मजदूरों को क्वारेंटाइन सेंटर में रखकर एहसान नहीं कर रही है।
220 सेंटरों में 18 हजार कामगार
जिले में 220 क्वारेंटाइन सेंटर हैं। प्रवासी कामगारों की 14 दिनों की अवधि के बाद उन्हें छोड़ा भी जा रहा है। इन सेंटरों में 18 हजार से अधिक प्रवासी कामगार हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार बहादुरगंज प्रखण्ड के 29 सेंटरों में 2150, किशनगंज प्रखण्ड के 30 सेंटरों में 2100, दिघलबैंक प्रखण्ड के 21 सेंटरों में 1689, कोचाधामन प्रखण्ड के 17 सेंटरों में 1150, टेढ़ागाछ प्रखण्ड के 19 सेंटरों में 2841 ठाकुरगंज प्रखण्ड के 108 सेंटरों में 6045 एवं पोठिया प्रखण्ड के 22 सेंटरों पर 2184 कामगार हैं।
कामगारों पर नजर रखने के निर्देश, नियमित परीक्षण होगा
आपदा विभाग के प्रधान सचिव से निर्देश के बाद आने वाले प्रवासी कामगारों पर नजर रखने का निर्देश दिया गया है। बी श्रेणी में आने वाले कामगारों के गहन चिकित्सकीय जांच के बाद ही होम क्वारेंटाइन किया जाएगा। साथ ही मेडिकल टीम बनाकर घर घर उन सभी कामगारों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। किसी प्रकार का लक्षण परिलक्षित होते ही उन्हें आइसोलेट किया जाएगा।
आदित्य प्रकाश, डीएम
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दैनिक भास्कर,,1733
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