हाइवे पर सामाजिक संगठनों द्वारा कैंप लगाकर प्रवासी मजदूरों को राहत पहुंचाई जा रही है। शनिवार को अपराह्न 4:00 बजे मुंबई से आए शुभम रविंदर,अनिल, महेंद्र,जवाहर, संजय व सुबोध यहां भोजन करने पहुंचे। उन्होंने बताया कि एक सप्ताह पहले जब वे मुंबई से पैदल चले थे तब उनको भूख की चिंता नहीं थी। सिर्फ घर पहुंचने की जिद थी। लेकिन अब भूख की वजह से हम सभी थक चुके हैं।
कर्मनाशा रेलवे स्टेशन से ट्रेन खुलने वाली है। लेकिन ट्रेन पकड़ने की चिंता उनको नहीं है। मुंबई से बिहार आ गए हैं तो घर भी पहुंच ही जाएंगे। लेकिन पिछले 7 दिनों के बीच भरपेट भोजन नहीं नसीब नहीं हो सका है। ट्रेन भले ही छूट जाए लेकिन भोजन करने के बाद ही रेलवे स्टेशन जाएंगे। मुंबई से चले प्रवासी मजदूर सीतामढ़ी मोतिहारी पूर्णिया और कटिहार के हैं।
मजदूर बोले- लॉकडाउन में आमदनी हो गई बंद
मजदूरों ने बताया कि कोरोना की वजह से लॉकडाउन होने के बाद जब काम धंधा बंद हो गया तो आमदनी रुक गई। ऐसे में पेट पालने की चिंता ने पलायन करने को मजबूर कर दिया। कुछ दूर पैदल चले फिर ट्रक से सफर किया। किसी तरह बिहार के कर्मनाशा बॉर्डर पर पहुंचे हैं। यहां तेजस्वी भोजनालय में भोजन करने आ गए हैं। भोजनालय का संचालन कर रहे सुधाकर सिंह, डॉक्टर जवाहर बिंद, संजय सिंह व पंकज कुमार ने बताया कि पिछले 4 दिनों में 4 हजार प्रवासी मजदूर भोजन कर चुके हैं। यह सेवा आगे भी जारी रहेगी।
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दैनिक भास्कर,,1733
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