लॉकडाउन में हो रहीं मौतों के खिलाफ शनिवार को आइसा कार्यालय में शोक एवं धिक्कार दिवस मनाया गया। जिसमें विशाखापत्तनम में गैस लीक से हुई मौतें, औरंगाबाद में रेल पटरी पर हुई मौत सहित तमाम जगहों पर हो रही औद्योगिक दुर्घटना, भूख और सड़क दुर्घटनाओं से हो रही मजदूरों की मौत पर दो मिनट का रखकर श्रद्धांजलि दी गई। वहीं, माले नेताओं ने कहा कि सरकार नाकाम है और मजदूरों के प्रति संवेदनहीन है। इन घटनाओं से पहले लॉकडाउन के कारण 300 से ज्यादा मौतें हो चुकी है। ये सांस्थानिक हत्या है। जिसके जिम्मेदार सीधे तौर पर केंद्र व राज्य सरकार है। इस लंबे घेराबंदी के दौरान सबसे अधिक खराब हालत मजदूरों की हो गई है। जिसे राशन वगैरह की भी दिक्कत हो गई है। संसाधनों की कमी के कारण हज़ारों मजदूर पैदल चल चुके हैं। कई जगहों पर मजदूरों को गैरकानूनी रूप से बंधक बनाने की खबर है और बिहार से मजदूरों को वापस भी भेजा जा रहा है।
माले मांग करता है कि तत्काल इस पर रोक लगाए। मजदूरों को तत्काल लॉकडाउन भत्ता के रूप में 10 रुपए और मारे गए मजदूरों के परिजन को 20 लाख मुआवजा दिया जाए। शोक सभा में माले के जिला सचिव जयनारायण यादव, इंकलाबी नौजवान सभा के अधिवक्ता राजेश कुमार गजेश, आइसा के डॉ. अमित कुमार, सुधीर कुमार सुधांशु व विनय बिहारी उपस्थित थे।
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दैनिक भास्कर,,1733
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