प्रखंड में बाढ़ की स्थिति में कमी आने के बावजूद त्रासदी विगत 46 दिनों से कम होने की नाम नहीं ले रही है। कमला, करेह व जीवछ नदी की स्थिरता के कारण क्षेत्र में बाढ़ की पानी की घटने की प्रवृति धीरे - धीरे हो रही है।
ऋइसके कारण प्रखंड ऊपरी इलाके में बाढ़ की स्थिति समान्य हो गई है। वही निचले इलाके में कईकई पंचायत में बाढ़ की स्थिति बरक़रार बनी हुई है। वही बाढ़ की पानी घटने के साथ ही प्रखंड क्षेत्र में किसान व मजदूरों के सामने तरह - तरह की समस्याएं उत्पन्न होने लगी है।
जलस्तर घटने के साथ धराशायी हो रहे है कच्चे घर और झोपड़ी
प्रखंड क्षेत्र में बाढ़ की पानी घटने के साथ ही बाढ़ पीड़ितों के सामने नई - नई आफत सामने आने लगे है। बाढ़ की विभीषका के बीच आफत बनकर आई तेज हवा के साथ बारिश में क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित दलित बस्ती सैकड़ों बाढ़ पीड़ितों की झोपड़ी तबाह हो गए।
वही पानी घटने के बाद इन दलित बस्ती में दलदली उत्पन्न होने के कारण कच्चे माकन धरासाई होने लगे है। कोरोना व बाढ़ की दोहरी मार से खाशकर मजदूर तबके के लोगों के सामने सबसे अधिक परेशानी उत्पन्न होने लगे लगे है। क्षेत्र में हर तरफ बाढ़ की पानी रहने के कारण कार्य धंधे मंदे पड़े है जिसके कारण मजदूरों को काम नहीं मील रहे है।
हरी घास को लेकर पशुपालक के सामने बनी हुई है समस्या, दूसरे इलाके से ला रहे चारा
दूसरी ओर बाढ़ की आफत की मार झेल रही पशुपालक किसानों के सामने पालतू व दुधारू पशुओं के लिए हरे घास की व्यवस्था करना मजबूरी बना हुआ है।
चारे के लिए हरे घास की व्यवस्था करने के लिए पशुपालक को मिलो दूर क्षेत्र से बाहर जाकर घास काटकर लाना पड़ता है। इसके लिए किसानों को दिनभर का समय चारा की व्यवस्था करने में ही गुजर जाता है। पतैल गांव के किसान हिरा सदा, पिंकी देवी, घूरन राम, बेलाही के रज्जाक, राम भरोष पंडित, वारी के सीताराम पासवान, आदि ने बताया की चारा की व्यवस्था करने के लिए साईकिल, से मिलो दुरी तय हसनपुर, शिवाजीनगर, रोसड़ा, अदि प्रखंड घास काटकर लाना पड़ता है। किसानों के सामने 46 दिनों से उत्पन्न समस्याओं के बाद भी आजतक पशुचारा की व्यवस्था नहीं कराई गई है।
बाढ़ ने कृषि विज्ञान केन्द्र की 24 एकड़ की उन्नत किस्म धान की फसल को डूबोया
सिंघिया| बाढ़ की विभीषिका ने प्रखंड क्षेत्र किसानों खेतों में लगे खरीफ की फसल पूरी तरह बर्बाद कर दी है। 2018 के बाद आई बाढ़ की त्रासदी ने प्रखंड क्षेत्र में खेतों में लगी मुख्य फसल धान, दलहनी मुंग व कुछ पंचायत में मक्का, सब्जी, आदि की फसल पूरी तरह से बर्बाद कर रख दिया। खेतों में बाढ़ की पानी प्रवेश करने के कारण जल - जमाव की स्थिति उत्पन्न रहने के कारण फसल पूरी तरह चौपट हो चुकी है। प्रखंड के सभी पंचायतों हर ओर सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा है। स्थिति यह है की इस बार बाढ़ की त्रासदी ने प्रखंड क्षेत्र के लदा कृषि विज्ञान केंद्र के 24 एकड़ फॉर्म की भूमि में लगे उन्नत किस्म के धान की फसल को भी पूरी तरह से अपने चपेट में ले लिया। इसके कारण पानी में एक महीने से अधिक दिनों तक धान की फसल डूबने के कारण पूरी तरह से बर्बाद हो गया। विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक आरके तिवारी, फॉर्म इंचार्ज संजय कुमार व इंजीनियर शैलेश कुमार, मुकेश कुमार, व संजीत ने जानकारी देते हुए बताया कि लदा केंद्रीय विज्ञान केंद्र के फॉर्म में 24 एकड़ भूमि में पैड़ी ट्रांसप्लांट विधि से उन्नत किस्म के धान की फसल लगाई गई थी। फार्म में पानी प्रवेश करने के बाद अत्यधिक पानी में लगातार एक महीना से अधिक दिनों तक डूबने के कारण फार्म में लगे फसल पूरी तरह से डूब कर बर्बाद हो गया। वही बाढ़ की त्रासदी ने किसानों व मजदूर तबके के लोगों को कमर तोड़ रख दी है। बाढ़ पीड़ित के अनुसार अधिकतर किसान कर्ज लेकर खेती करते है। इस स्थिति में फसलों के बर्बादी किसानों ने अरमानों पर पानी फेर कर रख दी है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
https://ift.tt/3gIXc5y
दैनिक भास्कर,,1733
No comments:
Post a Comment