लगातार ऑनलाइन पढ़ाई में कंप्यूटर और स्मार्ट फोन के इस्तेमाल से बच्चों के स्वभाव में चिड़चिड़ापन और कुंठा झलक रही है। ऐसे में अगर पढ़ाई के दौरान 10 मिनट के अंतराल पर 10 फीट दूर रखी वस्तु को 10 सेकंड तक देखने के बाद पढ़ाई पर फोकस किया जाए तो इससे बच्चों की एकाग्रता और ग्राह्यता दोनों बढ़ेगी।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से बच्चों को वर्चुअल एंगेज करने और उन्हें कुंठा से बचाने के लिए गाइडलाइन जारी की गई है। मनोदर्पण के काउंसलर और शिक्षाविद डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया, देखा जा रहा है कि ऑनलाइन पढ़ाई में शिक्षक सीधे बच्चों को अनम्यूट कराने के बाद पढ़ाना शुरू करते हैं।
इससे बच्चे कुंठा का शिकार हो रहे हैं। अगर शिक्षक क्लास शुरू कर रहे हैं तो दो से तीन मिनट तक उनके परिवार और अन्य बाहरी दुनिया की खोज-खबर लें। इससे बच्चा पढ़ाई में खुद को जोड़ पाएगा। प्रज्ञाता गाइडलाइन में इसका जिक्र है। उन्होंने बताया, शिक्षा शास्त्र में पांच ई-का ख्याल रखना है। इसमें इंगेज, एक्सप्लोर, एक्सप्लेन, इंप्रूव और इवैल्युएट है। पढ़ाई शुरू करने से पहले बच्चों को इंगेज करना। फिर उसे विषय के बारे में विस्तार से बताएं। इसे डिफरेंशियल एक्सप्रेशन बताया गया है।
काउंसलर को बताया-अधिकतर बच्चों में परीक्षा को लेकर भय का माहौल
अधिकतर बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान लाभान्वित हो रहे हैं। नेटवर्क की समस्या और सरकारी स्कूल के बच्चों को इसका विशेष लाभ नहीं मिल रहा। ऐसे में बच्चे इस बात को लेकर भयभीत हैं कि अगर परीक्षा होगी तो वे क्या उत्तर देंगे। मनोदर्पण पर आने वाले फोन में अधिकांश बच्चे इस तरह के सवाल काउंसलर से पूछ रहे हैं।
काउंसलर डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया, पैरेंट्स बच्चों के व्यवहार में बदलाव संबंधी सवाल पूछ रहे हैं। इसमें उनके चिड़चिड़ेपन से लेकर अन्य चीजें शामिल हैं। शिक्षकों, बच्चों और पैरेंट्स के मनोवैज्ञानिक समस्याओं के निराकरण के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से मनोदर्पण पोर्टल शुरू किया गया है। इस पर रोज इस तरह के फोन आ रहे हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
https://ift.tt/34MOzF2
दैनिक भास्कर,,1733
No comments:
Post a Comment