(धनंजय मिश्र) सदर अस्पताल की सूरत कुछ दिनों में बदली हुई नजर अाएगी। यहां बच्चाें के इलाज की सुविधा बढ़ जाएगी। परिसर में 12 बेड का अत्याधुनिक एसएनसीयू इंक्यूबेटर वार्ड बनेगा। इस बिल्डिंग में बच्चाें के परिजनों के लिए 100 बेड का विश्रामालय (डोमिनेटरी हॉल) व ऊपर में 100 लोगों की क्षमता के मीटिंग सह मल्टीपर्पस हाॅल का निर्माण हाेगा। साथ ही ओपीडी में 5 नए काउंटर भी बनाए जाएंगे। इसका प्राेजेक्ट नीति आयोग ने तैयार किया है और उसी की अनुशंसा पर पीएडीए फंड के तहत 7.5 करोड़ रुपए का आवंटन भी मिल चुका है।
बता दें कि एसएनसीयू इंक्यूबेटर युक्त वार्ड बन जाने से यहां जन्म लेनेवाले गंभीर रूप से बीमार और कमजोर नवजात की जान बचाना आसान हाेगा। वर्तमान में इसके लिए परिजन काे निजी नर्सिंग होम में मोटी रकम चुकानी पड़ती है। नीति आयोग की एडीएफ जयश्री राठौर ने बताया कि नीति आयाेग की अनुशंसा पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी कुछ काम हाे रहा है। इस भवन का निर्माण रुरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन फाउंडेशन कराएगा। बता दें कि सदर अस्पताल में अभी 800 से 1000 मरीज प्रतिदिन आते हैं। उनमें 75 से 100 भर्ती होते हैं।
वहीं, प्रसव के लिए भी हर दिन 35-40 महिलाएं आती हैं। इनके परिजन को होटल या फुटपाथ पर रहना पड़ता है। राठाैर ने बताया कि नीति आयोग ने इनकी परेशानियों को दूर करने के लिए यह 4G बिल्डिंग बनवा रहा है। इसमें निचले तल पर 5 आउटडोर काउंटर हाेंगे। वहीं ऊपरी तल पर अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त 100 बेड का डोमेनेटरी हाॅल बनेगा। इसे मरीज के परिजन रात काे ठहरने के लिए बुक करा सकते हैं।
सबसे ऊपर बननेवाले मल्टीपर्पस हॉल में 100 लोगों के एक साथ बैठने की व्यवस्था होगी। साथ ही इसमें किचन, अत्याधुनिक बाथरूम व अन्य सुविधाएं भी होंगी। अभी किसी कांफ्रेंस के लिए होटल बुक कराना पड़ता है। इस हॉल में कॉन्फ्रेंस समेत अन्य गतिविधियां भी हो सकेंगी।
13 पीएचसी-रेफरल अस्पताल में भी लगाए जाएंगे इंक्यूबेटर
जिले के लिए कुल 25 इंक्यूबेटर मंगाए जा रहे हैं। इनमें से 12 सदर अस्पताल में लगाए जाएंगे, जबकि अन्य 13 को पीएचसी-रेफरल अस्पतालाें में लगाना है। इनमें सकरा रेफरल अस्पताल व 2 अन्य सीएचसी भी शामिल हैं।
बोलचाल की भाषा में इसे कहते हैं शीशा घर, जिसमें उन बच्चों को रखा जाएगा जो निर्धारित अवधि से कम समय में जन्म लेंगेे
नीति आयोग की एडीएफ राठौर ने बताया कि अत्याधुनिक इंक्यूबेटर से युक्त यह वार्ड जर्मनी की तकनीक पर आधारित हाेगा। इस वार्ड में खासकर वैसे बच्चों को रखा जाएगा जो निर्धारित समय से कम अवधि में ही जन्म लेते हैं और उनकी स्थिति गंभीर हो जाती है। बोलचाल की भाषा में इस वार्ड को शीशा का घर कहा जाता है। सदर व अन्य सरकारी अस्पतालों में यह सुविधा मिल जाने से अामलाेगाें काे काफी राहत मिलेगी।
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दैनिक भास्कर,,1733
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