कालजयी डाॅ. रघुवंश बाबू को दो दिन पहले 10 सितंबर को ही अहसास हो गया था कि वे अब ज्यादा दिन नहीं रहेंगे। संभवत: इसलिए उन्होंने अंतिम इच्छा बताते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा और पूरा करवाने का आग्रह किया। उस दिन कुछ देर के लिए आईसीयू में ऑक्सीजन का सहारा हटाया गया था। पहले सादे कागज पर पार्टी से नाता तोड़ने की चिट्ठी लालू के नाम लिखी। फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम 4 पत्र लिखे। जिन कार्यों को वे पूरा नहीं कर पाए, उन्हें पूरा कराने का आग्रह किया।
रघुवंश की ये थी आखिरी 4 मांगें
1. मनरेगा में मजदूरी भुगतान में एससी-एसटी व सभी जाति के किसानों की जमीन शामिल कराएं। आचार संहिता लागू होने से पहले ये बदलाव हो जाए तो किसानों को लाभ मिलेगा। रकबा के अनुसार मजदूर संख्या तय हो और आधी-आधी मजदूरी सरकार-किसान दोनों वहन करें।
2. गणतंत्र की जन्मस्थली वैशाली में 26 जनवरी और 15 अगस्त को सरकारी समारोह में झंडोत्तोलन कराया जाए। झारखंड बनने के पहले जैसे रांची में 15 अगस्त को राज्यपाल व 26 जनवरी को मुख्यमंत्री झंडा फहराते थे, वैशाली में वैसा ही समारोह मनाया जाए।
3. भगवान बुद्ध के अंतिम भिक्षापात्र को काबुल से मंगवाएं। बुद्ध का पवित्र भिक्षापात्र कंधार में नहीं सुरक्षा कारणों से अब काबुल म्यूजियम में है। भगवान बुद्ध ने अंतिम वर्षावास में वैशाली छोड़ने के समय अपना भिक्षापात्र स्मारक के रूप में वैशाली वालों को दिया था।
4. गांधी सेतु पार करते हाजीपुर में भव्य गेट बनवाया जाए। गेट पर ‘विश्व का प्रथम गणतंत्र, वैशाली’ लिखा जाए। वैशाली में किसी जगह ‘दिनकर जी’ और ‘मनोरंजन बाबू’ की वैशाली के बारे में लिखी कविताएं अंग्रेजी, हिन्दी व पाली में मोटे अक्षरों में लिखवाई जाएं।
काबुल से मंगवा वैशाली में रखा जाएगा बुद्ध का भिक्षा पात्र, केंद्र से करेंगे बात
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डॉ. रघुवंश के भगवान बुद्ध के भिक्षा पात्र एवं अस्थिकलश को वैशाली लाने के आग्रह को कबूलते हुए फौरन जवाब भेजा था। डॉ. सिंह ने इस बारे में 10 को सीएम को पत्र लिखा था। सीएम ने दूसरे ही दिन (11 सितंबर) पत्र लिखकर कार्रवाई करने की बात कही थी। डॉ. सिंह को लिखे सीएम के पत्र के अनुसार, ‘भगवान बुद्ध के काबुल संग्रहालय (अफगानिस्तान) में रखे पवित्र भिक्षा पात्र को वैशाली लाने के अनुरोध से संबंधित आपका पत्र प्राप्त हुआ।
पूर्व में भी आपने वैशाली के मिट्टी स्तूप से 1950 के दशक में उत्खनन के दौरान मिले बुद्ध के पवित्र अस्थि अवशेष, जो अभी पटना संग्रहालय में प्रदर्शित है, को वैशाली में रखने का अनुरोध किया था। सरकार द्वारा बुद्ध के पवित्र अस्थि कलश को वैशाली में प्रदर्शित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप की योजना क्रियान्वित की जा रही है। सरकार द्वारा 300 करोड़ की लागत से बनने वाले इस संग्रहालय के पूर्ण होने पर बुद्ध के पवित्र अस्थि अवशेष को वैशाली में ही प्रदर्शित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री भावुक, बोले-आखिरी पत्र में भी विकास की बात, हम उसे पूरा करेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दिग्गज नेता रघुवंश बाबू हमारे बीच नहीं रहे। मैं उनको नमन करता हूं। उनके जाने से बिहार और देश की राजनीति में शून्य पैदा हुआ। जमीन से जुड़ा, गरीबी को समझने वाला व्यक्तित्व, पूरा जीवन बिहार के संघर्ष में बिताया। जिस विचारधारा में वो पले-बढ़े, जीवनभर जीने का प्रयास किया। मैं जब भाजपा कार्यकर्ता था, उस काल में मेरा उनका निकट परिचय रहा।
कई टीवी डिबेट में वाद-विवाद, संघर्ष करते रहते थे हमलोग। बाद में वे केंद्रीय मंत्रिमंडल में थे। मैं गुजरात के सीएम के नाते भी उनसे संपर्क में रहता था, विकास के काम को लेकर। पिछले तीन-चार दिन से वे चर्चा में भी थे। उनके स्वास्थ्य की लगातार जानकारियां लेता रहता था। लगता था जल्द ठीक होकर वे वापस बिहार की सेवा में लग जाएंगे, लेकिन उनके भीतर मंथन भी चल रहा था।
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दैनिक भास्कर,,1733
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